कोरोना के कारण जेवर हवाई अड्डा परियोजना में हुई देरी ! 2024 में शुरू होगी उड़ान:-
उत्तर प्रदेश के जेवर में बनने जा रहे एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पहली उड़ान साल 2024 में शुरू होगी। हवाई अड्डे के निर्माण के लिए स्विट्जरलैंड की कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी के बीच करार हो गया। जिसके बाद जल्द ही हवाई अड्डे का निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल (एशिया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेनियल बिरचर ने कहा, ‘‘हम इसका (नोएडा हवाई अड्डे का) निर्माण करने के लिए निश्चित ही स्थानीय निर्माण साझेदारों के साथ काम करेंगे लेकिन हम मुख्य निवेशक होंगे।’’
ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल का फिलहाल जेवर हवाई अड्डा परियोजना में शत प्रतिशत हिस्सेदारी है। उसने जेवर हवाई अड्डे के लिए 40 वर्ष का रियायत प्राप्त करने के लिए दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल), अडानी इंटरप्राइजेज और एंकरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट होल्डिंग लिमिटेड से बढ़ कर बोली लगाई थी।
परियोजना के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने बताया कि जेवर हवाई अड्डा या नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण कार्य जब पूरा हो जाएगा तो यह 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत 29,560 करोड़ रुपए आंकी गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने 400.97 रुपए प्रति यात्री राजस्व देने का प्रस्ताव दिया, जबकि अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने 360 रुपए, डायल ने 351 और एंकरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट होल्डिंग लिमिटेड ने 205 रुपए प्रति यात्री राजस्व देने की बोली लगाई थी।
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक जेवर हवाई अड्डे जब पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तह यहां पर छह से आठ हवाई पट्टियां होंगी। जो देश में अब तक किसी भी हवाई अड्डे की तुलना में सबसे अधिक होंगी।
देशभर में फैले कोरोना वायरस संक्रमण का प्रभाव जेवर हवाई अड्डा परियोजना में भी देखा गया है। यदि संक्रमण नहीं होता तो अब तक हवाई अड्डे का काम शुरू हो चुका होता। ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल (एशिया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेनियल बिरचर ने बताया कि 2021 की शुरुआत से ही परियोजना के निर्माण कार्य को शुरू करने की योजना है।
यमुना एक्सप्रेस-वे के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुण वीर सिंह ने बताया कि 18 मई 2020 को ज्यूरिख कंपनी की विशेष उद्देश्य कंपनी को हरी झंडी मिली। दो जुलाई 2020 को करार करने की पहली तारीख कोरोना महामारी की वजह से टल गई। अंतत: करार हो गया।
उन्होंने बताया कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में चार संस्थाएं हिस्सेदार हैं। राज्य सरकार तथा नोएडा प्राधिकरण की 37.5 और 35.5 फीसदी की हिस्सेदारी है। जबकि ग्रेटर नोएडा तथा यमुना प्राधिकरण की 12.5 और 12.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
उम्मीद जताई जा रही है कि 2023-24 से हवाई अड्डे पर उड़ानों की शुरूआती हो सकती है। परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती सालों में 90 फीसदी ट्रैफिक केवल घरेलू यात्रियों का होगा। अधिकारी ने बताया कि निर्माण कार्य पूरी तरह से कम्प्लीट होने के बाद हवाई अड्डे पर हर साल 12 मिलियन यात्रियों की क्षमता हो जाएगी।