शी जिनपिंग ने दिया सैनिकों को आदेश कहा युद्ध के लिए रहे तैयार
पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने विवादास्पद कदम उठाते हुए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है. एक मिलिट्री बेस के दौरे के दौरान जिनपिंग ने कहा कि चीनी सैनिकों को युद्ध के लिए अपने दिलोदिमाग को तैयार कर लेना चाहिए.
सूत्रों के हवाले से बताया कि शी जिनपिंग मंगलवार को गुआंगडोंग प्रांत के मिलिट्री बेस के दौरे पर पहुंचे थे. छाओझू सिटी में PLA मरीन कॉर्प्स का दौरा करते हुए शी जिनपिंग ने सैनिकों से कहा कि वे देश के प्रति एकनिष्ठ, शुद्ध और भरोसेमंद बनें. जिनपिंग ने सैनिकों को आदेश दिया कि वे युद्ध के लिए हाई अलर्ट लेवल की तैयारियां बनाए रखें और अपने दिल- दिमाग को भी उसके लिए तैयार करें.
रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग गुआंगदोंग प्रांत में बने शेनझेन स्पेशल इकॉनॉमिक जोन की 40वें स्थापना दिवस के अवसर पर उसका दौरा करने के लिए पहुंचे थे. इस स्पेशल इकोनॉमिक जोन की स्थापना 1980 में हुई थी और इसे चीन को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाए जाने का श्रेय दिया जाता है. इस इकोनॉमिक जोन के बाद जिनपिंग मिलिट्री बेस में सैनिकों से मिलने पहुंचे थे.
जिनपिंग की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर सामने आई है. जब उसका पूर्वी लद्दाख में भारत और ताइवान खाड़ी में ताईवान के साथ गंभीर तनाव बना हुआ है. भारत और चीन सोमवार मंगलवार को हुई 7वीं कोर कमांडर स्तरीय बातचीत में इस नतीजे पर पहुंचे थे कि वे किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए आगे भी बातचीत करते रहेंगे.
दोनों देशों ने बातचीत के बाद संयुक्त बयान जारी किया कि वे अपने शीर्ष नेताओं की सहमति के आधार पर काम करते हुए उचित नतीजे पर पहुंचेंगे और असहमतियों को विवादों में नहीं बदलने देंगे. करीब 11 घंटे तक चली बातचीत में चीन ने जहां भारत से पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से की चोटियों को पहले खाली करने की बात कही. वहीं भारत ने पूरे पूर्वी लद्दाख में एक साथ डि-एस्कलेशन की बात कही. जिस पर चीन ने चुप्पी साध ली.
भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एलएसी पर बने 44 रणनीतिक पुलों का उद्घाटन किया था. राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन और पाकिस्तान किसी मिशन के तहत सरहद पर हरकतें करने में लगे हैं. चीन के विदेश मंत्रालय ने इन पुलों पर आपत्ति जताते हुए इन्हें अपने लिए खतरा बताया था. साथ ही लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता न देने की बात भी दोहराई थी. लेकिन भारत ने इसे चीन का बेसुरा राग मानते हुए इस पर कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा था.