ईरान ने ठुकराया ट्रंप के बातचीत प्रस्ताव को और कही ये बात
वरिष्ठ ईरानी अधिकारी और सैन्य कमांडरों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान के राष्ट्रपति से बिना शर्त मुलाकात करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. उन्होंने कहा कि ये एक सपना है. उनकी कथनी और करनी में अंतर है क्योंकि उन्होंने तेहरान के ऊपर तमाम रोक लगा दी है. रूहानी ने कहा कि 2015 में हुए न्यूक्लियर डील को ट्रंप द्वारा तोड़ना ‘गैर-कानूनी’ था. उन्होंने अमेरिका द्वारा ईरान के तेल निर्यात पर हर तरह से रोक लगाने के सामने ईरान किसी तरह से भी नहीं झुकेगा.
बता दें कि मई में ट्रंप ने इस बहुपक्षीय समझौते से अपने को अलग कर लिया था. यह डील उनके पद सम्हालने से पहले फाइनल की गई थी. ट्रंप का कहना था कि ये डील एक-तरफा है और ईरान के पक्ष में झुका हुआ है. सोमवार को उन्होंने कहा था कि वो ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से बिना शर्त मिलने को तैयार हैं.ईरान के विदेश मंत्री जावेद ज़रीफ ने ट्वीट करके कहा कि तेहरान से बातचीत को खत्म करने के लिए अमेरिका को खुद को ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए.
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख ने भी ट्रंप के इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि ईरान, उत्तर कोरिया नहीं है जो आपके बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले. यहां तक कि आपके बाद के भी अमेरिकी राष्ट्रपतियों को ये दिन देखना नसीब नहीं होगा. ईरान स्ट्रैटीजिक काउंसिल के प्रमुख कमाल खराज़ी ने कहा, ‘अमेरिका के साथ बातचीत के खराब अनुभव और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा उनके वादों को तोड़े जाने के कारण मुझे नहीं लगता कि अमेरिका के साथ बातचीत का कोई मतलब है.’
स्ट्रैटीजिक काउंसिल की स्थापना ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खमेनी ने ईरान के लिए दीर्घकालिक नीतियां बनाने के लिए किया था. नए सिरे से बात करने के लिए ईरान पर दबाव डालने वाले ट्रंप के इस कदम ने देश में कट्टरपंथियों और रूहानी जैसे उदारवादियों को एक कर दिया है. रूहानी ने व्यावहारिक नज़रिया अपनाते हुए ईरान की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए न्यूक्लियर समझौते को अपनाया था. ईरानी पार्लियामेंट के डिप्टी स्पीकर अली मोटाहारी ने कहा कि अब अमेरिका से बातचीत करना अपना मज़ाक बनवाने जैसा है. अगर अमेरिका ने न्यूक्लियर डील से अपने को बाहर नहीं किया होता तो ऐसा किया जा सकता था.
हालांकि अमेरिका द्वारा दिए गए बातचीत के इस प्रस्ताव से इज़रायल चिंतित नहीं दिख रहा है. एक इज़रायली अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा, ‘हमारे अधिकारी लगातार अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में हैं. ईरान को लेकर अमेरिका की नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.’ बता दें कि इज़राइल ने न्यूक्लियर डील का विरोध किया था और कथित तौर पर अमेरिका को इससे बाहर होने के लिए उकसाया था.
ट्रंप ने न्यूक्लिर डील का विरोध किया था क्योंकि उनका मानना था कि यह डील ईरान के बैलिस्टक मिसाइल प्रोग्राम को कवर नहीं करता है. रूहानी ने मंगलवार को ब्रिटेन के राजदूत से मीटिंग में कहा, ‘ईरान ने कभी नहीं चाहा कि इस क्षेत्र में किसी तरह का कोई तनाव हो और न ही वैश्विक जल क्षेत्र में ही वो किसी तरह का तनाव चाहता है लेकिन हम अपने तेल निर्यात करने के अधिकार को आसानी से नहीं छोड़ेंगे.’ रूहानी और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने ये भी कहा कि अगर अमेरिका ईरान के तेल निर्यात पर रोक लगाने की कोशिश करेगा तो हम होर्मुज़ जलसंधि (स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़) से दूसरे देशों के तेल जहाज़ों पर भी रोक लगा सकते हैं.