मैसूर यूनिवर्सिटी ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है : PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे हैं। बता दें कि मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 में की गई थी। यह देश का छठा और कर्नाटक का पहला विश्वविद्यालय था।
मुझे खुशी है कि मैसूर यूनिवर्सिटी ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है, तेजी दिखाई है। देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने के लिए अगर जीएसटी लाया गया, तो टैक्सपेयर को परेशानी से बचाने के लिए फेसलेस असेसमेंट की सुविधा हाल ही में शुरू की गई है।
आपने बीते 6-7 महीने में देखा होगा कि रिफॉर्म्स की गति और दायरा दोनों बढ़ रहा है। खेती, स्पेस, डिफेंस, एविएशन हो या लेबर, ऐसे हर सेक्टर में ग्रोथ के लिए जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं।
आज शिक्षा के हर स्तर पर देश में बेटियों के ग्रास एनरोलमेंट रेसियो बेटों से ज्यादा है। उच्च शिक्षा में भी इनोवेशन और टेक्नोलॉजी से जुड़ी पढ़ाई में भी बेटियों की भागीदारी बढ़ी है।
चार साल पहले, आईआईटी में लड़कियों के नामांकन का अनुपात 8 प्रतिशत था। इस साल, यह 2.5 गुना ज्यादा बढ़कर 20 प्रतिशत पर पहुंच गया है। नई शिक्षा नीति इन सभी शैक्षिक सुधारों को एक नई दिशा देगी।
शिक्षा के हर स्तर पर, देश भर में लड़कों की तुलना में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात अधिक है। उच्च शिक्षा में भी और नवाचार और प्रौद्योगिकी में, लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है।
पिछले 5-6 सालों में, हमने अपनी शिक्षा प्रणाली में बदलाव करके अपने छात्रों को 21वीं सदी में आगे बढ़ने में मदद करने की लगातार कोशिश की है। उच्च शिक्षा में, बुनियादी ढांचे और संरचनात्मक सुधारों के विकास में बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है।
अगर एनईपी देश के एजुकेशन सेक्टर का भविष्य सुनिश्चित कर रही है, तो ये आप जैसे युवा साथियों को भी एंपावर कर रही है। अगर खेती से जुड़े रिफॉर्म्स किसानों को सशक्त कर रहे हैं, तो लेबर रिफॉर्म्स लेबर और इंडस्ट्री दोनों को ग्रोथ, सिक्योरिटी और थ्रस्ट दे रहे हैं।
मेडिकल एजुकेशन में भी ट्रांसपेरेंसी की बहुत कमी थी। इसे दूर करने पर भी जोर दिया गया। आज देश में मेडिकल एजुकेशन में पारदर्शिता लाने के लिए नेशनल मेडिकल कमिशन बनाया जा चुका है।