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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन पर कांग्रेस ने किया पलटवार

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन पर पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार कोरोना वायरस संकट से निपटने में नाकाम रही है. पार्टी ने कहा कि देश अब कोरा संबोधन नहीं, बल्कि ठोस समाधान चाहता है.

पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक बयान जारी कर कहा कि 24 मार्च, 2020 को मोदी जी ने कहा था कि महाभारत का युद्ध 18 दिन चला था और कोरोना से युद्ध जीतने में 21 दिन लगेंगे. लेकिन 210 दिन बाद भी समूचे देश में कोरोना महामारी की महाभारत छिड़ी है, लोग मर रहे हैं, पर मोदी जी समाधान की बजाए टेलीविजन पर कोरे संबोधन से काम चला रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कोरोना से लड़ाई में मोदी सरकार पूरी तरह निकम्मी व नाकारा साबित हुई है. महामारी की विभीषिका में बीजेपी ने देश के लोगों को अपने हाल पर बेहाल छोड़ दिया है कांग्रेस नेताओं ने आगे कहा भारत आज दुनिया का कोरोना कैपिटल बन गया है. 19 अक्टूबर, 2020 को जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी के संक्रमण में भारत अब दुनिया में पहले स्थान पर है.

कांग्रेस नेताओं ने कोरोना वायरस से संबंधित कई आंकड़े पेश करते हुए दावा किया 100 दिन में भारत में कोरोना संक्रमण एक लाख से बढ़कर 75 लाख हो गया. यह घोर नाकामी व निकम्मेपन को बयां करता है सुरजेवाला और खेड़ा ने कहा, ‘मोदी जी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि दवा आने तक कोरोना खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं. समझ नहीं आता कि कितनी बार एक-दूसरे के विरोधाभासी झूठ बोलकर देश को बरगलाएंगे. देश अब कोरा संबोधन नहीं, बल्कि ठोस समाधान चाहता है.

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बता दें, प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार शाम राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि लॉकडाउन भले खत्म हो गया है, लेकिन कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि जब तक कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश को सफलता नहीं मिल जाती, तब तक लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए. मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि भारत आज संभली हुई स्थिति में है और किसी भी सूरत में इसे बिगड़ने नहीं देना है.

उन्‍होंने संत कबीर के दोहे और रामचरित मानस के एक सोरठे के जरिये बताया कि जब तक कोरोना वायरस से लड़ाई का खात्मा नहीं हो जाता तब तक ये नहीं मानना चाहिए कि हम सफल हो गए हैं.

प्रधानमंत्री ने संत कबीर के दोहे की याद दिलाते हुए कहा, ‘पकी खेती देखिके, गरब किया किसान. अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान..’ यानी कि कई बार किसान खेत में पकी हुई फसल देखकर ही खुश हो जाता है लेकिन जब तक फसल पूरी तरह पककर घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए.

वहीं रामचरित मानस का जिक्र करते हुए कहा कि रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि…इसका आशय यह है कि शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को छोटा नहीं समझना चाहिए. यानी कुल मिलाकर कोरोना के खात्मे तक किसी तरह की लापरवाही ना करें.

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