क्या एक बार प्रेग्नेंट होते हुए भी दोबारा प्रेग्नेंट हो सकती हैं महिलाएं?
सुपरफिटेशन तब होता है जब प्रेग्नेंसी शुरू होने के दौरान ही एक दूसरी प्रेग्नेंसी हो जाए. इसमें पहली प्रेग्नेंसी शुरू होने के कुछ दिनों या हफ्तों के बाद प्रेग्नेंट महिला के एग्स स्पर्म के संपर्क
क्या कोई महिला एक बार प्रेग्नेंट होने के दौरान दोबारा प्रेग्नेंट हो सकती है? भले ही ये सुनने में अजीब लगे लेकिन ऐसा हो सकता है. दो बार प्रेग्नेंट होने की इस अवस्था को सुपरफिटेशन कहते हैं. हालांकि सुपरफिटेशन के मामले बहुत कम आते हैं लेकिन फिर भी इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
क्या होता है सुपरफिटेशन?
सुपरफिटेशन तब होता है जब प्रेग्नेंसी शुरू होने के दौरान ही एक दूसरी प्रेग्नेंसी हो जाए. इसमें पहली प्रेग्नेंसी शुरू होने के कुछ दिनों या हफ्तों के बाद प्रेग्नेंट महिला के एग्स स्पर्म के संपर्क में आकर फिर से फर्टिलाइज हो जाते हैं जिसकी वजह से नई प्रेग्नेंसी शुरू हो जाती है. सुपरफिटेशन से पैदा हुए बच्चों को अक्सर जुड़वां माना जाता है क्योंकि वो एक साथ या एक दिन ही पैदा होते हैं.
सुपरफिटेशन के ज्यादातर मामले IVF के-
सुपरफिटेशन ज्यादातर मछली, खरगोश जैसे कई जानवरों में होता है. महिलाओं में इसकी संभावना बहुत कम होती है. सुपरफिटेशन के अधिकतर मामले IVF ट्रीटमेंट लेने वाली महिलाओं के होते हैं. स्पर्म से फर्टिलाइज्ड एग्स के जरिए प्रेग्नेंसी होती है. सुपरफिटेशन में एक दूसरा एग फर्टिलाइज होकर गर्भ में अलग से प्रत्यारोपित हो जाता है.
सुपरफिटेशन आसानी से संभव नहीं-
सुपरफिटेशन तब होता है जब प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का ओवुलेशन हो जाए. हालांकि ये संभव नहीं हैं क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान निकलने वाले हार्मोन आगे के ओवुलेशन को रोक देते हैं. इसलिए ही आमतौर पर ऐसे मामले सामने नहीं आते हैं. एक बार प्रेग्नेंसी होने के बाद गर्भाशय में दूसरे भ्रूण की पर्याप्त जगह नहीं होती है इसलिए भी सुपरफिटेशन आसानी से संभव नहीं है.
सुपरफिटेशन की स्थिति-
फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के दौरान फर्टिलाइज्ड भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है. अगर कोई महिला इस प्रक्रिया के कुछ हफ्तों बाद भी ओवुलेट हो जाती है और उसके एग्स फर्टिलाइज्ड हो जाते हैं तो सुपरफिटेशन की स्थिति बन जाती है.
सुपरफिटेशन के लक्षण-
सुपरफिटेशन के लक्षण- सुपरफिटेशन के मामले बहुत ही कम होते हैं इसलिए इसके कोई खास लक्षण नहीं पाए गए हैं. इस स्थिति में चेकअप के दौरान डॉक्टर को ही पता चलता है कि गर्भ में जुड़वा भ्रूण का विकास अलग-अलग समय से हो रहा है. अल्ट्रासाउंड के दौरान दोनों भ्रूण की स्थिति स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है.
सुपरफिटेशन में दिक्कत-
सुपरफिटेशन में दिक्कत- सुपरफिटेशन की सबसे बड़ी दिक्कत ये होती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चों का विकास अलग-अलग चरणों में होता है. जैसे कि एक बच्चे की डिलीवरी का समय आ गया हो, जबकि दूसरा भ्रूण इस समय तक ठीक से ना बना हो. इससे दूसरे बच्चे के प्रीमैच्योर पैदा होने की संभावना ज्यादा होती है.
प्रीमैच्योर बच्चा होने की संभावना-
प्रीमैच्योर पैदा होने वाले बच्चे को सांस की दिक्कत, वजन कम होना, फीड करने में दिक्कत यहां तक ब्रेन हेमरेज जैसी समस्या भी हो सकती है. सुपरफिटेशन में प्रेग्नेंट महिला को भी हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्या हो सकती है. इस स्थिति से बचने के लिए प्रेग्नेंसी के बाद सेक्स करने से बचें.