नवरात्री का अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित
आज नवरात्री का अंतिम दिन है और ये दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है देवी का यह रूप भक्तो को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त कराने वाला है मारकण्डे पुराण में आठ सिद्धियों का पुराण मिलता है जिनके नाम इस प्रकार है :- अणिमा , महिमा , गरिमा आदि है ब्रह्मत्र व्यवर्थ पुराण में दस सिद्धियों का उल्लेख है जिनके नाम कुछ इस प्रकार है –
सर्वकामस्याता , सर्वज्ञत्व , दूरश्रवण , परकायेप्रवेशन , वाकासिद्ध , कल्पवृक्षत्व , सृष्टि , संहारकारण सामर्थ्य , अमरत्व और सर्वन्यायकत्व है | इस प्रकार पुराणों में कुलमिलाकर 18 सिद्धियों का उल्लेख मिलता है माँ सिद्धिदात्री इन सभी सिद्धियों की स्वामिनी है और सभी सभी भक्तो को सिद्धियाँ प्रदान करती है देवी पुराण के अनुसार सिद्धिदात्री की कृपा से ही महादेव शिवजी को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी और इनकी कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था जिस कारण शिवजी अर्धनारेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए
धरती पर दैत्यों के अत्याचार से मानव की रक्षा करने और लोक के कल्याण हेतु माँ दुर्गा नवमी के दिन सिद्धिदात्री में प्रकट हुई थी माँ सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य और आकर्षण भरा है इनकी चार भुजाये है दाहिनी ओर की भुजा में चक्र और नीचे की भुजा में गदा है बायीं ओर भुजा में शंख तथा माँ कमल धारण करे हुए है उनके कन्ठ में दिव्या माला सुशोभित है देवी का यह रूप कमल पर विराजित है और इनकी सवारी सिंह है दुर्गा सप्तसती में अनेक स्थानों पर सिद्धिदात्री का उल्लेख मिलता है
एक कथा के अनुसार देवी ने स्वयं ही कहा है की मेरी अतिरिक्त दूसरी कोई नहीं है यह सब मेरी ही विभूतियाँ है इसके पश्चात सभी देवियाँ देवी सिद्धिदात्री के शरीर में प्रविष्ट हो गयी है तब देवताओ और दानवो के युद्ध के चलते देवी और शुम्भ राक्षस के मध्य भी भयंकर युद्ध हो गया शुम्भ को अपनी ओर आते देख देवी ने त्रिशूल से उसकी छाती पर तीव्र प्रहार किया और गिरा दिया इस प्रकार देवी ने शुम्भ का वध किया जिसके परिणाम स्वरुप समस्त संसार प्रसन्नचित हो उठा
नदिया अपने मार्ग पर बहने लगी आइये अब जानते है माँ सिद्धिदात्री की पूजा कैसे होगी सिद्धिदात्री का ध्यान मध्यकपाल में किया जाता है भक्तो को सिद्धिदात्री की पूजा पूरी विधि विधान से अपने परिवार के कल्याण हेतु करनी चाहिए इनके वरदान से बुद्धि सिद्धि और बल सुख की प्राप्ति होती है और घर में प्रेम भाव का आगमन होता है प्रतिदिन की भाँति शुद्धता स्वछता और पवित्रता का ध्यान रखते हुए विधि के साथ कलश और देवी का पूजन करे
नवरात्री के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है उनकी उपासना से भक्तो की सभी इछाये पूर्ण हो जाती है इस दिन माँ को तिल अर्पित करने से विशेष फल मिलने की मान्यता है और माँ सिद्धिदात्री केतु गृह को नियंत्रित करती है इनकी पूजा करने से केतु गृह के बुरे प्रभाव से बचाव होता है और नवरात्र के नौवें दिन जामुनी या बैगनी रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए और नवमी के दिन माता को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भी भोग लगाना चाहिए
जैसे – हलवा , चना , पूड़ी , खीर और पुए आदि इससे माता प्रसन्न होकर हर सुख शान्ति प्रदान करती है
माँ सिद्धिदात्री को चम्पा का पुष्प समर्पित करना चाइये साथ ही माता को प्रसन्न करने के लिए – ॐ ऍंग रिंग क्लिंग सिद्धिदात्रीए नमः इस मन्त्र का जाप करना चाहिए इस तरह की पूजा करके आप माता जी को प्रसन्न कर सकते है तथा अपने जीवन में खुशहाल माहौल प्राप्त कर सकते है माता के इन नौ स्वरूपों की भक्त पूरी श्रद्धा भाव से पूजन करते है