हरिद्वार में एक कार्यक्रम में अजित डोभाल ने कहा जरूरत या खतरे को देखकर करेंगे युद्ध
रविवार को देश ने धूमधाम से असत्य पर सत्य की विजय का पर्व विजयादशमी मनाया. इस मौके पर भारत की ओर से देश के दुश्मनों को इशारों इशारों में बेहद कड़ा संदेश दिया गया. एलएसी पर तनाव के बीच शनिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने दुश्मनों को युद्ध का मंत्र दिया है.
उत्तराखंड के हरिद्वार में एक कार्यक्रम में डोभाल ने कहा कि किसी की इच्छा पर नहीं बल्कि जरूरत या खतरे को देखकर युद्ध करेंगे. हालांकि अजित डोभाल के बयान पर सरकार की तरफ से सफाई भी आई है. सरकार का कहना है कि डोभाल का बयान चीन के लिए नहीं था.
विजयादशमी के मौके पर एनएसए अजित डोभाल शनिवार को उत्तराखंड के ऋषिकेश में मौजूद थे… परमार्थ निकेतन के कार्यक्रम में डोभाल ने कहा हम वहीं लड़ेंगे जहां पर आपकी इच्छा है, यह कोई जरूरी तो नहीं. हम वहीं लड़ेंगे जहां से हमें खतार आ रहा है. हम उस खतरे का मुकाबला वहीं करेंगे. यह एक बात है लेकिन हमने अपने स्वार्थ के लिए नहीं किया. हम युद्ध तो करेंगे, अपनी जमीन पर भी करेंगे और बाहर भी करेंगे. लेकिन अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं परमार्थ के लिए करना पड़ेगा.
एनएसए डोभाल के इस बयान पर सरकार की ओर से सफाई आई है. सरकार का कहना है कि ये चीन को लेकर नहीं दिया गया बल्कि ये भारत की आध्यात्मिक सोच पर था. लेकिन बावजूद इसके ये बयान साफ करता है कि भारत युद्ध की धमकी या खतरे से नहीं डरता और युद्ध के लिए हमेशा तैयार है.
देश की बागडोर संभालने वाली बीजेपी की विचारक संस्था आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने भी विस्तारवाद के लिए चीन को घेरा. दशहरा पूजा के बाद भागवत ने कहा अपने सामरिक बल के अभिमान में हमारी सीमाओं का जो अतिक्रमण किया और जिस प्रकार का व्यवहार किया. और ऐसा व्यवहार सिर्फ हमारे साथ नहीं बल्कि सारी दुनिया के साथ किया. यह बात तो दुनिया को पता है. उसका स्वभाव विस्तारवादी है लेकिन इस बार भारत ने जो प्रतिक्रिया दी, उससे उसे धक्का जरूरी लगा है.
चीन के साथ बीते करीब 6 महीने से तनातनी चल रही है. समाधान के लिए 7 दौर की बैठक हो चुकी है और आठवें की तैयारियां चल रही है. अजित डोभाल के बयान में भले किसी का नाम नहीं लिया गया हो लेकिन ऐसे माहौल में इतना इशारा काफी है कि निशाने पर कौन है.