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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दी सफाई कहा आकार छोटा, दिख नहीं रहा

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत कुमार गोयल की मुलाकात के एक दिन बाद नेपाली पीएम की ओर से सोशल मीडिया पर विजयादशमी के शुभकामना संदेश के दौरान पुराना नक्शा दिखाए जाने पर हुए विवाद के बाद अब ओली के कार्यालय की ओर से सफाई दी गई है.

विवाद बढ़ने के बाद नेपाली पीएम ओली के कार्यालय की ओर से सफाई देते हुए इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि संशोधित नक्शे का आकार छोटा है इसलिए दिख नहीं रहा है. इस बधाई संदेश में नेपाली पीएम ने जिस नक्शे को ट्वीट किया उसमें लिपुलेख, कालापानी एवं लिंपियाधुरा का जिक्र नहीं किया गया जिसका वह नए नक्शे में अपना क्षेत्र होने का दावा करता है. इसके बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए.

नेपाल सरकार ने रविवार को स्पष्ट किया कि ओली की विजयादशमी की शुभकामनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया नक्शा तकनीकी कारणों से विकृत था और कहा कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से देख रहा है. आलोचना के जवाब में प्रधानमंत्री ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने अपने बयान में दावा किया कि संशोधित मानचित्र का उपयोग प्रधानमंत्री के संदेश में किया गया था, लेकिन इसके छोटे आकार के कारण दिखाई नहीं दे रहा था.

ओली के विदेश मामलों के सलाहकार राजन भट्टाराई ने कहा कि नेपाल ने कालापानी क्षेत्र के लिए अपने दावे को कम नहीं किया है. उन्होंने इस विवाद को दुष्प्रचार करार दिया और लोगों से अपील की कि इस पर विश्वास न करें. उन्होंने कहा कि हम देशभक्त लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे नक्शे के बारे में इस तरह के दुष्प्रचार और चलाए जा रहे अभियानों के झांसे में न आएं.

सत्तारूढ़ दल के नेता भीम रावल ने मुलाकात पर नाराजगी दिखाते हुए कहा था कि रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल और प्रधानमंत्री ओली के बीच जो बैठक हुई, वह कूटनीतिक नियमों के विरूद्ध है और इससे नेपाल के राष्ट्रहितों की पूर्ति नहीं हुई.

रॉ प्रमुख गोयल की यह यात्रा भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की अगले महीने नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली नेपाल यात्रा से पहले हुई है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इस साल 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख और धारचूला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे रणनीतिक रूप से अहम मार्ग का उद्घाटन किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था.

इससे नाराज नेपाल ने यह दावा करते हुए इस उद्घाटन का विरोध किया था कि यह सड़क उसके क्षेत्र से गुजरती है. कुछ दिनों के अंदर नेपाल ने नया मानचित्र जारी कर दिया जिसमें लिपुलेख, कालापानी एवं लिंपियाधुरा को अपनी सीमा के अंदर दिखाया.

भारत ने भी पिछले साल नवंबर में नया मानचित्र जारी किया था जिसमें इन क्षेत्रों को अपनी सीमा के अंदर दिखाया था. नेपाल के मानचित्र जारी करने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जारी की थी और इसे ‘एकतरफा कृत्य’ करार दिया. उसने कहा कि क्षेत्रीय दावे का कृत्रिम विस्तार उसे स्वीकार्य नहीं है.

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