अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो आज आएंगे भारत
दक्षिण एशिया खासकर पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक रवैये के लिए जवाबी रणनीति तैयार करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर आज भारत आने वाले हैं. क्वाड के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री के भारत दौरे को काफी अहम माना जा रहा है
और नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ होने वाली यह बैठक कई मायनों में ऐतिहासिक होगी. चीन के खिलाफ जवाबी रणनीति के अलावा इस दोनों देशों में महत्वपूर्ण सैन्य समझौते भी होंगे और बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्पेशियल कोऑपरेशन पर भी सहमति बन जाने की पूरी संभावना है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए फ़ॉर्मूले ‘टू प्लस टू’ के तहत ये वार्ता हो रही है, हालांकि इसका मतलब सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत से ही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में अपनी पहली मुलाकात के दौरान 2+2 वार्ता की घोषणा की थी. सितंबर 2018 में नई दिल्ली में इस बैठक का पहला संस्करण आयोजित हुआ था जबकि पिछले साल दिसंबर में वॉशिंगटन में दूसरी बार वार्ता हुई थी. 2+2 डायलॉग ने ओबामा प्रशासन में दोनों देशों के बीच होने वाली विदेश और वाणिज्य मंत्री स्तर बैठक की जगह ली है.
इस बैठक का फॉर्मेट जापान से निकला है जिसका मकसद दो देशों के बीच रक्षा सहयोग के लिए उच्च स्तरीय राजनयिक और राजनीतिक बातचीत को सुविधाजनक बनाना है. इसे ‘टू प्लस टू’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दो देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली संयुक्त बैठक है.
2+2 मीटिंग से पहले पिछले दिनों जापान में क्वॉड वार्ता आयोजित हुई थी. क्वॉड चार देशों- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के समूह को कहा जाता है और इस मीटिंग में भी चीन की आक्रामकता को जवाब देने पर चर्चा की गयी थी. अब भारत- अमेरिका के बीच होने जा रही 2+2 बैठक को लेकर भी चीन चिंता में है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और राष्ट्रपति ट्रंप लगातार चीन के आक्रामक और उकसावे वाले व्यवहार के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं. अमेरिका भारत से रक्षा सहयोग बढ़ाकर दक्षिण एशिया में चीन पर लगाम लगाने की रणनीति पर काम कर रहा है. भारत और यूएस के बीच बढ़ती सिक्यॉरिटी कॉर्पोरेशन को चीन हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी महत्वकांक्षा पर खतरे के रूप में देख रहा है.
BECA उन तीन मूल समझौतों में आखिरी है जो अमेरिका अपने खास सहयोगियों संग करता है. इससे संवेदनशील और क्लासिफाइड जानकारी साझा करने के रास्ते खुलते हैं. BECA का मकसद नॉटिकल और एयरोनॉटिकल चार्ट्स समेत जियोस्पेशियल डेटा की साझेदारी है. अमेरिका के सटीक सैटेलाइट्स के डेटा से मिलिट्री ठिकानों को निशाना बनाने के साथ-साथ नेविगेशन में भी मदद मिलेगी.