अभी-अभी: यूटी कर्मचारियों के लिए आई बुरी खबर, 3930 फ्लैट्स की योजना पर लटकी तलवार
वीरवार को हाईकोर्ट में यूटी कर्मियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल सीनियर एडवोकेट चेतन मित्तल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। मित्तल ने बताया कि यूटी प्रशासन ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा था कि 61.5 एकड़ भूमि हाउसिंग बोर्ड को सौंपी जाए ताकि 3930 फ्लैट्स का निर्माण किया जा सके। इस प्रस्ताव को फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक्सपेंडेचर व इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग ने अपनी एनओसी दे दी थी। इसके बाद इसे मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस के लीगल अफेयर्स विभाग के पास भेजा गया। विभाग ने इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जता दी है। अब यह जानकारी प्रशासन को सौंप दी गई है और प्रशासन को अपना पक्ष या अपनी सफाई मंत्रालय के समक्ष रखनी होगी।
यह है मामला
मामला चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को हाउसिंग वेलफेयर स्कीम के तहत चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकान उपलब्ध करवाने से जुड़ा है। प्रशासन की ओर से इस स्कीम को आरंभ किया गया था और हाउसिंग बोर्ड को इसका जिम्मा सौंपा गया था। हाउसिंग बोर्ड ने इसके लिए योजना तैयार कर मकानों के ड्रा निकाले थे और चयनित लोगों से रकम भी ले ली थी। इसके बाद मामला लटकता चला गया और इस बीच कर्मचारियों का 57 करोड़ रुपया हाउसिंग बोर्ड के पास ही रहा। हाउसिंग बोर्ड और प्रशासन के बीच की तकरार के बाद यह कह दिया गया था कि इस स्कीम को ही रद्द कर दिया जाए।
ये है परेशानी
चंडीगढ़ प्रशासन ने इस स्कीम के लिए दक्षिणी सेक्टरों में जमीन रिजर्व रखी हुई है। जमीन की बढ़ी कीमत के चलते यह स्कीम चंडीगढ़ प्रशासन और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के बीच ही उलझकर रह गई थी। चंडीगढ़ प्रशासन का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड ने इस स्कीम के तहत जमीन लेने के लिए प्रशासन के पास पैसे जमा नहीं करवाए, इसलिए प्रशासन ने जमीन जारी नहीं की। दूसरी तरफ चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि वर्षों पहले यह स्कीम आई थी, उस समय जमीन के रेट 7920 रुपये गज थी जबकि आज के समय चंडीगढ़ में जमीन का रेट 60 हजार रुपये प्रति गज है।