क्या सपा को हराने के लिए BJP का समर्थन करेंगी मायावती यहाँ जाने क्या है पूरा मामला
राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम के खिलाफ सपा के समर्थन से उतरे प्रकाश बजाज का पर्चा खारिज हो गया है, लेकिन जिस तरह से बसपा विधायकों ने अखिलेश यादव से मुलाकात कर बागी रुख अपनाया है. इस राजनीतिक घटनाक्रम के चलते बसपा प्रमुख मायावती ने सपा के खिलाफ आक्रमक तेवर अपना लिया है. मायावती ने सूबे के एमएलसी चुनाव में सपा को हराने के लिए बीजेपी को समर्थन करने की बात तक कह दी है.
मायावती ने कहा कि एमएलसी के चुनाव में बसपा जैसे को तैसा का जवाब देने के लिए पूरी ताकत लगा देगी. बीजेपी को वोट देना पड़ेगा तो भी देंगे, लेकिन एमएलसी के चुनाव में सपा के उम्मीदवार को हराने के लिए पूरा जोर लगाएंगे. मायावती ने कहा कि हमारे सात विधायकों को तोड़ा गया है. सपा को यह हरकत भारी पड़ेगी.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में 11 विधान परिषद सीटें अगले साल जनवरी में रिक्त हो रही है. इनमें से छह सीटों पर सपा जबकि दो सीटें पर बसपा और तीन सीटों पर बीजेपी के सदस्य हैं. यूपी के मौजूदा विधायकों की संख्या के आधार पर 11 विधान परिषद सीटों में से बीजेपी 8 से 9 सीटें जीतने की स्थिति में है. वहीं, सपा की एक सीट पर जीत तय है और दूसरी सीट से उसे निर्दलीय सहित अन्य दलों के समर्थन की जरूरत होगी.
2018 में हुई विधान परिषद के चुनाव में सपा ने अपनी एक सीट जीतने के साथ-साथ बसपा के भीमराव अंबेडकर को समर्थन देकर एमएलसी बनवाया था, लेकिन इस बार सपा और बसपा के रिश्ते बिगड़ गए हैं. ऐसे में मायावती ने साफ कर दिया है कि दिसंबर में होने वाले एमएलसी चुनाव में सपा को हराने के लिए बीजेपी को समर्थन कर सकती हैं. हालांकि, बसपा विधायकों ने जिस तरह से बागी रूख अपनाया हुआ है, वैसे में पार्टी के साथ महज से 7 से 8 विधायक ही हैं.
उन्होंने कहा कि राम गोपाल यादव से बात हुई, उन्होंने सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ने की बात कही. इस वार्ता के बाद बसपा ने रामजी गौतम को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया, लेकिन सपा ने हमारे सात विधायकों को तोड़ा और उनसे झूठा हलफनामा दिलाया गया. सपा को यह मंहगा पड़ेगा. साथ ही मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर बहुजन समाज के लोगों का अनादर करने का भी आरोप लगाया.
मायावती ने कहा कि हम 1995 की घटना को भुलाकर आगे बढ़े. चुनाव में सपा को लाभ नहीं मिला. चुनाव बाद हमने कई बार फोन किया, लेकिन सपा ने फोन नहीं उठाया. 1995 के केस को वापस लेना गलत फैसला था. अभी भी 2 जून 1995 की टीस बकरार है. मायावती ने कहा कि केस वापस लेने के लिए सतीश चंद्र मिश्रा पर दबाव बनाया गया था.