लखनऊ प्रशासन के सामने अब ये बड़ी चुनौती :-
कोरोना महामारी से राजधानी अभी उबरी भी नहीं थी कि एक और मर्ज से लखनऊ की गलियों को अपना शिकार बना रहा है | लखनऊ प्रशासन के सामने अब ये बीमारी चुनौती बनी हुई है | एक तरफ शहर में कोरोना मरीजों की संख्या अधिकारियों के लिए सरदर्द बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर डेंगू की दस्तक ने नई परेशानी पैदा कर दी है | सभी को पता है कि डेंगू खत्म करने के लिए इसे फैलाने वाले मच्छरों का खात्मा सबसे जरूरी है | ऐसे में प्रशासन मरीजों के घरों के आसपास पनप रहे लार्वा को खत्म कराने की जिम्मेदारी उठाई है और एक बड़ा फैसला लिया है | अब कोरोना मरीजों की तरह डेंगू के मरीज मिलने पर प्रशासन उनके घरों को कंटेनमेंट जोन में तब्दील करेगा |
डेंगू मरीजों के घरों को कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के पीछे प्रशासन का मकसद उनके घरों के आस-पास और नालियों में पनप रहे डेंगू के लार्वा को पूरी तरह नष्ट कराना है, ताकि बीमारी आगे फैलने से रोकी जा सके | प्रशासन इसके लिए बकायदा अभियान चला रहा है और टीम बनाकर लार्वा नष्ट करने के काम को अंजाम दिया जा रहा है | गोमती नगर, इंदिरा नगर और अलीगंज पर व्यापार स्तर पर काम किया जा रहा है | साथ ही मरीजों के घरों के पास एंटी लार्वा का छिड़काव और फॉगिंग कराई जा रही है | 77 टीमें इस काम के लिए लगाई गई हैं | शहर की सभी निजी पैथोलॉजी को आदेश दिए गए हैं कि किसी भी मरीज की डेंगू की रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो इसकी सूचना तत्काल दी जाए, ताकि डाटा समय पर अपडेट किया जा सके | इस काम में लापरवाही करने पर सख्त कार्रवाई हो सकती है | डेंगू रोग के लक्षण 4 दिन से लेकर 14 दिन के भीतर तक आ सकते हैं | अत्यधिक गंभीर अवस्था में दांत, मुंह और नाक से खून आने की शिकायत हो सकती है | बुखार आने पर स्वयं से इलाज न करें, तुरंत पास के सरकार अस्पताल में जाकर डेंगू की जांच कराएं | डेंगू का मच्छर दिन में काटता है, ऐसे में मच्छर से बचने की क्रीम लगाएं और घर में साफ-सफाई का ख्याल रखें |