प्रदेश में अब जल्द ही सड़कों पर इलेक्ट्रिक कैब भी दौड़ती नजर आएंगी। इसके लिए परिवहन मुख्यालय में कई सेवा प्रदाताओं ने आवेदन किया है। इसे देखते हुए परिवहन मुख्यालय इनके लिए नियमावली तैयार कर रहा है। नियमावली में परमिट और शुल्क आदि के विषय में नियम बनाए जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार बीते कुछ वर्षों से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर विशेष जोर दे रही है। केंद्र ने भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर जीएसटी केवल पांच फीसद की है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। बीते कुछ वर्षों में उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में तेजी आई है। हालांकि, इसमें अधिकांश ई-रिक्शा हैं। प्रदेश सरकार इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल के तौर पर पर्वतीय मार्गों पर संचालन कर चुकी है। वहीं सचिवालय में भी इलेक्ट्रिक कार को कुछ समय के लिए ट्रायल के तौर पर चलाया जा चुका है। अब इलेक्ट्रिक कैब के संचालन पर सरकार की विशेष नजर है।
कोरोना काल के दौरान बाहर से आने वालों को इसके जरिये स्वरोजगार से भी जोड़ा जा रहा है। इसके लिए बाकायदा ऋण का प्रविधान किया गया है। अभी प्रदेश में जो कैब संचालित हो रही हैं, उनकी अलग नियमावली है। इसी नियमावली के अनुसार उन्हें परमिट और लाइसेंस आदि जारी किए जाते हैं। इनके लिए टैक्स की भी अलग-अलग दरें तय हैं। वहीं, इलेक्ट्रिक कैब पर ये नियम लागू नहीं होंगे। दरअसल, इलेक्ट्रिक वाहनों को परमिट से छूट दी गई है। ऐसे में प्रस्तावित नियमावली में इलेक्ट्रिक कैब के संचालन को छूट दी जाएगी। हालांकि, इन्हें व्यावसायिक वाहन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसलिए इसके लिए अलग नियम व शर्तें बनाई जा रही हैं।
इसके अलावा कैब संचालकों के लिए वाहनों की संख्या, उनका रखरखाव, संचालन की शर्तें, पात्रता आदि नियम बनाए जाएंगे। इसके साथ ही इनके टैक्स और एक राज्य से दूसरे राज्य में इसका संचालन करने संबंधी नियम भी तय होंगे। परिवहन उप आयुक्त एसके सिंह ने कहा कि इलेक्ट्रिक कैब के संचालन को लेकर विभाग के पास लगातार आवेदन आ रहे हैं। ऐसे में इसकी नियमावली तैयार की जा रही है। इसे जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा।