प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण में रविवार को एक नया पंच दिया। दूसरी ओर सनातन आस्था का लोकपर्व छठ और गंगा का घाट। ये दोनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं। बिहार में चुनावी घमासान है और परिणाम के कुछ ही दिनों बाद छठ। मोदी ने अपने भाषण के दौरान पूरे बिहार को इसी बहाने कई संदेश देने की कोशिश की। इसमें रोटी, रोजगार और भयमुक्त बिहार था। वहीं, ‘डबल इंजन की सरकार’ बनाम ‘डबल युवराज’ का नया पंच देते हुए बिना नाम लिए तेजस्वी यादव और राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला।
भिखारी ठाकुर से लेकर रामकलावन तक को किया याद
भोजपुरी से ही संबोधन शुरू करते हुए लोगों को सीधे जोड़ने की कोशिश की। ‘अंबिका भवानी माई के भूमि के नमन करऽ तानी…,’ यह उनके संबोधन की शुरुआत थी। आमी में मां अंबिका भवानी के मंदिर से न सिर्फ छपरा, बल्कि बिहार और देश की सनातन आस्था जुड़ी है। यहां की विभूतियों से जुड़ी लोगों की भावनाओं के तार को झंकृत करते हुए देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और भोजपुरी के महान लोक कलाकार भिखारी ठाकुर को भी याद किया। हाल ही में सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने गए वैवेल रामकलावन को भी मंच से बधाई दी, जिनके पूर्वज गोपालगंज के थे।
बिहार के गौरव का कराया अहसास, जंगलराज की दिलाई याद
मोदी इन सबका उल्लेख करते हुए एक ओर बिहार के गौरव का अहसास कराते दिखे तो दूसरी ओर बार-बार ‘जंगलराज’ कहते हुए परोक्ष रूप से लालू प्रसाद और महागठबंधन पर हमलावर दिखे। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना उत्तर प्रदेश के चुनाव का भी जिक्र किया कि वहां भी दो युवराज सिंहासन बचाने को साथ थे। सीधा इशारा अखिलेश यादव और राहुल गांधी पर। बिहार में भी डबल युवराज और इनमें एक तो जंगलराज का युवराज…। इशारा लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी पर था। दूसरे युवराज मतलब महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी। मोदी ने नाम भले न लिया हो, पर आरोपों की झड़ी में निशाने पर यही थे।
महागठबंधन से दूर रहने की नसीहत देने की दी नसीहत
उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार के 15 साल और उससे पहले के 15 साल के कार्यकाल की तुलना करते हुए खास तौर से युवाओं और महिलाओं से संवाद की कोशिश की। उन्होंने युवाओं से यह कहा कि शायद बचपन याद हो, जब मां घर से बाहर नहीं निकलने कहती थी, क्योंकि कब किसका अपहरण हो जाए कहा नहीं जा सकता था। इन आरोपों के साथ वे उन्हें महागठबंधन से दूर रहने की नसीहत देने की कोशिश करते दिखे।
बिहार की विरासत के साथ ही रोजगार व विकास की भी बात
उन्होंने कोरोना काल का जिक्र करते हुए यह भी जोड़ा कि छठ तक घर बैठे अनाज की व्यवस्था की गई है। गंगा का पानी भी निर्मल हो रहा है, क्योंकि सफाई हो रही है। मोदी पूरे भाषण के दौरान बिहार की सांस्कृतिक विरासत के साथ ही रोजगार और विकास की बात करते दिखे।