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एक्सपर्ट से सवाल-जवाब: डॉक्टर राय ने कहा- अगले साल फरवरी-मार्च तक वैक्सीन आने की संभावना:-

दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है और सर्दियों का मौसम भी शुरू हो गया है. ऐसे में इस वायरस के संक्रमण को लेकर स्थिति खराब होने संबंधी चिंता भी बढ़ गई है. साथ ही, देश और दुनिया में कोविड-19 टीके को लेकर लगातार परीक्षण चल रहे हैं. इन्हीं बिंदुओं पर पेश हैं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स-दिल्ली) के ‘कम्युनिटी मेडिसिन’ विभाग के प्रमुख एवं कोरोना वायरस वैक्सीन संबंधी परीक्षण के मुख्य इनवेस्टिगेटर डॉक्टर संजय राय से पांच सवाल और उनके जवाब |

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सवाल: एम्स में कोरोना वायरस रोधी संभावित टीके ‘कोवैक्सीन’ के परीक्षण में अब तक कितनी प्रगति हुई है?
जवाब: हम दो चरणों का परीक्षण कर चुके हैं. पहले चरण का परीक्षण कारगर रहा है. दूसरे चरण के परीक्षण का अभी विश्लेषण चल रहा है, लेकिन नियामक प्राधिकरण तीसरे चरण में जाने की अनुमति दे रहा है तो इसका मतलब है कि वे सारी रिपोर्ट से संतुष्ट हैं. अब तक जो भी साक्ष्य हैं, उन्हें संतोषजनक कहा जा सकता है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल फरवरी-मार्च में टीका आने की संभावना है.
सवाल: दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों अचानक फिर से बढ़ोतरी हुई है. क्या यह संक्रमण की तीसरी लहर है?
जवाब: दिल्ली में जून के आखिर में जब करीब चार हजार मामले आए थे तो उस वक्त कुल जांच के अनुपात में संक्रमण की दर 20 फीसदी से अधिक थी. अगर आज की जांच दर से तुलना करें तो इस वक्त 8 -10 हजार मामले आने चाहिए. इसलिए अभी यही कहा जाएगा कि जून में इससे अधिक मामले थे. वैसे, दिल्ली में हम संक्रमण की बेसलाइन तक अभी पहुंचे ही नहीं हैं. यह कहना बहुत ही मुश्किल है कि यह कोरोना की यह दूसरी या तीसरी लहर है.
सवाल: दिल्ली तथा कई इलाकों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और सर्दियों का मौसम भी आ गया है. ऐसे में कोरोना वायरस की स्थिति और कितनी बिगड़ जाती है?
जवाब: प्रदूषण का प्रभाव सबसे पहले फेफड़े पर होता है. कोविड भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. ऐसे में प्रदूषण होने से कोरोना संक्रमण की स्थिति और डरावनी होने की आंशका है. बहुत ज्यादा सर्दी और बहुत ज्यादा गर्मी वायरस के लिए अनुकूल स्थिति नहीं होती. बीच का तापमान अनुकूल होता है. पिछले कुछ वायरस को देखते हुए यह मौसम इस वायरस के लिए ज्यादा अनुकूल हो सकता है |

सवाल: मौजूदा हालात में बिना कड़े कदम उठाए कोरोना वायरस से निपटने की क्या रणनीति होनी चाहिए?
जवाब: रणनीति यह होनी चाहिए कि जिनको लक्षण हैं, उनकी जांच करें और उन्हें बेहतर से बेहतर उपचार दें. हमारा लक्ष्य यही होना चाहिए कि हम ज्यादा से ज्यादा जीवन बचाएं. हमें बहुत ज्यादा जांच करने पर संसाधनों को जाया नहीं करना चाहिए. बेहतर होगा कि संसाधनों का उपयोग बीमार लोगों की बेहतर देखभाल पर हो. वैश्विक स्तर पर जो भी साक्ष्य उपलब्ध हैं, उनसे यह पता चलता है कि हम संक्रमण के प्रसार को रोक नहीं सकते. इतना जरूर है कि कुछ कदम उठाकर इसका त्वरित प्रसार होने पर अंकुश लगा सकते हैं. ऐसी हालत में हमें जान और जहान के बीच संतुलन बनाना होगा.
सवाल: क्या कोरोना मरीजों के उपचार के बाद शरीर पर कुछ दुष्प्रभाव देखने को मिला है?
जवाब: उपचार होने के बाद अब तक कोई बड़ा दुष्प्रभाव नहीं देखने को नहीं मिला है, लेकिन बहुत सारे मरीजों में यह देखा गया है कि उनमें एक-दो महीने तक कमजोरी थी. कुछ लोगों को लंबे समय तक खाने का स्वाद पता नहीं चलता है. कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं दिखा है |

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