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क्यों करते हैं गोवर्धन पूजा जानिए महत्व :-

हिन्दू धर्म में हर त्योहार का विशेष महत्व है और इन त्योहारों को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। समय के कुछ बदलाव तो आए हैं लेकिन इन त्योहारों के पीछे की आस्था आज भी लोगों में पाई जाती है। हिन्दू धर्म को मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति इन त्योहारों को पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाता है। इन त्योहारों में एक विशेष त्योहार है गोवर्धन पूजा। गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है और इस बार 15 नवम्बर को अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा।

क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा, जानें गोवर्धन पूजा का महत्व और विधि | Hari  Bhoomi

अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का सीधा संबंध भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। भगवान श्री कृष्ण के अवतार के बाद यानि द्वापर युग से गोवर्ध पूजा प्रारंभ हुई थी। यह ब्रजवासियों का प्रमुख त्योहार है। जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप के कारण मूसलाधार बारिष से बचाने के लिए 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर इन्द्र का मान-मर्दन किया तथा उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में रहे, तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है। श्रीकृष्ण अवतार की बात सुनकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की। भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव ‘अन्नकूट’ या गोवर्धन पूजा के नाम से प्रसिद्ध हो गया ।

गोवर्धन पूजा के अन्तर्गत छप्पन भोग बनाया जाता है। कहते हैं कि अन्नकूट महोत्सव मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा निरोगी काया की प्राप्ति होती है साथ ही इस पूजा को करने से दरिद्रता का भी नाश होकर व्यक्ति जीवनपर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है। ऐसी भी मान्यता है कि यदि इस दिन कोई मनुष्य दुखी है तो वह सालभर दुखी ही रहता है इसलिए इस दिन यह उत्सव बहुत ही आनंदपूर्वक मनाया जाता है। इस दिन परिवार के सभी लोग एक जगह इकट्ठे होकर गोवर्धन और श्रीकृष्ण की पूजा करने के बाद साथ में ही भोजन करते हैं और शगुन स्वरूप जुआ भी खेलते हैं। लोग गायों के गोबर से अपनी दहलीज पर गोवर्धन बनाकर पूजा करते हैं और वहां कई तरह के पकवान बनाकर भोग स्वरूप रखते हैं।

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