Main Slideदेशबिहारबड़ी खबर

बिहार इलेक्शन 2020 पहली बार नीतीश कुमार को पछाड़कर आगे निकली बीजेपी :-

बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक सभी 246 सीटों पर रुझान आ चुके हैं. अब तक के परिणाम को देखते हुए ऐसा लगता है कि बीजेपी जेडीयू से आगे दिखाई दे रही है. बीजेपी 71और जेडीयू 46 सीट पर आगे चल रही है. इस कोशिश में वो लंबे समय से लगी रही है ऐसे में अंदरखाने बीजेपी इस बात को लेकर खुश हो सकती है कि कम से कम उसका एक दांव तो सफल हुआ. वो पहली बार नंबर के मामले में जेडीयू से आगे जाती दिख रही है. बिहार में बीजेपी अगर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो नीतीश कुमार का क्या होगा
बिहार की सत्ता में ‘ड्राइवर’ वाली सीट पर आने के लिए बीजेपी काफी दिन से संघर्ष कर रही है. अब तक वो जेडीयू के छोटे भाई के तौर पर काम कर रही थी. अगर नंबर के मामले में वो बड़े भाई वाली भूमिका में आई तो वहां की सियासत में बड़ा बदलाव माना जाएगा. एलजेपी नेता चिराग पासवान के सहारे जेडीयू को किनारे करने का जो दांव बीजेपी ने चला था वो कामयाब होता दिखाई दे रहा है |

Bihar Vidhansabha Chunav 2020 Kurukshetra: If The Election Results Are  Scattered Then New Political Scenario May Emerge In Bihar - कुरुक्षेत्र :  चुनाव नतीजे अगर बिखरे तो बिहार में खिलेंगे सियासत के

नीतीश कुमार का क्या होगा?वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु मिश्र का कहना है कि मुख्य विपक्षी पार्टी अगर भाजपा बनती है तो फिलहाल ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार के लिए विपक्ष के नेता का भी स्कोप नहीं बचेगा. ऐसे में नीतीश कुमार का क्या होगा इस पर सबकी नजर रहेगी. यह भी सवाल पैदा होगा कि क्या नीतीश की पार्टी में बगावत होगी. क्योंकि जेडीयू में दो विचारधारा के लोग हैं. एक वो हैं जो समाजवादी विचार रखते हैं और दूसरे वो हैं जो बीजेपी की सोच रखते हैं. नीतीश कुमार सत्ता और संगठन दोनों पर काबिज रहे हैं. इसलिए खराब परिणाम के बाद उन्हें लेकर असंतोष बढ़ेगा |

अगर एनडीए सत्ता में आता है तो भी बीजेपी के नंबर ज्यादा होने की वजह से नीतीश कुमार के लिए परेशानी ही पैदा होगी. पिछले दिनों हमसे बातचीत में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के निदेशक और चुनाव विश्लेषक संजय कुमार ने कहा था कि नीतीश कुमार के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है वो खुद बीजेपी है. बीजेपी ने अगर जेडीयू से ज्यादा सीटें जीत लीं तो नीतीश कुमार के लिए फिर सीएम बनने में अड़चन आ सकती है.

बीजेपी अपनी चाणक्य नीति से जेडीयू को पीछे करने में कामयाब होती दिखाई दे रही है. बीजेपी के ज्यादातर बागी नेता लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) से चुनाव लड़ रहे थे. एलजेपी केंद्र में एनडीए का घटक दल है लेकिन उसने बिहार में एनडीए के खिलाफ ही चुनाव लड़ा. यह बात आम हो गई थी कि नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए उसे बीजेपी ने खड़ा किया बीजेपी को बिहार में कभी पूरी सत्ता हाथ नहीं लगी. वो जब भी पावर में रही ‘स्टेपनी’ बनी रही. कभी ड्राइविंग सीट उसे नसीब नहीं हुई. अब हालात बता रहे हैं कि इस बार नीतीश कुमार सबसे कमजोर हैं |

कभी बीजेपी की ओर से सीएम पद के दावेदार रहे रामेश्वर चौरसिया और संघ से गहरा नाता रखने वाले राजेन्द्र सिंह ने बीजेपी छोड़कर एलजेपी से चुनाव लड़ा. चौरसिया सासाराम से जबकि सिंह दिनारा से मैदान में रहे. क्या इतने कद्दावर नेताओं को जान बूझकर एलजेपी से लड़वाया गया, यह बड़ा सवाल है |

Related Articles

Back to top button