जेल अधिकारियों की बड़ी लापरवाही, कोर्ट के आदेश पर उसी नाम के दूसरे कैदी को किया रिहा
दिल्ली में जेल अधिकारियों की लापरवाही के बीच एक ऐसे कैदी को रिहाई नहीं हुई, जिसे जमानत पर छोड़ने का कोर्ट ने आदेश दिया। अधिकारियों ने उस शख्स के बदले उसी नाम के दूसरे कैदी को जेल से रिहा कर दिया। मामला तूल पकड़ने के बाद जेल अधिकारियों ने रिहा किए गए शख्स की तलाश शुरू की और उसे दोबारा गिरफ्तार कर जेल पहुंचाया और जिसके नाम से रिहाई का आदेश मिला था, उसे रिहा किया। हर मामले की तरह इस मामले में भी जेल अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं।
जेल महानिदेशक संदीप गोयल का कहना है कि दरअसल एक ही मामले में दो शख्स जिनके एक ही नाम थे वे अलग अलग जेलों में बंद थे। एक कैदी जेल संख्या एक में तो दूसरा कैदी जेल संख्या आठ- नौ में बंद था। इनमें से जेल संख्या में एक में बंद कैदी की रिहाई का आदेश कोर्ट से मिला था। आदेश की प्रति जब तिहाड़ पहुंची तब यहां कहीं गड़बड़ी हुई जिसके कारण जेल संख्या आठ- नौ में बंद कैदी को रिहा कर दिया गया। महानिदेशक का कहना है कि गलती का एक संभव कारण एक ही मामले में दो आरोपितों का एक ही नाम हो सकता है। एक ही नाम के कारण अधिकारियों से यह गड़बड़ी हुई होगी। दिल्ली की जेलाें में नाम के पहले अक्षर के आधार पर कैदियों को जेल में रखा जाता है, तो फिर एक ही नाम और एक ही मामले के दो कैदी अलग अलग जेलों में कैसे बंद हुए, यह पूछने पर महानिदेशक का कहना है कि यह जांच का विषय है। लेकिन कई मामलों में एक ही नाम के दो अलग अलग कैदियों को अलग अलग जेल में रखा जाता है।
क्या है रिहाई की प्रक्रिया
इस पूरे प्रकरण में लापरवाही से जुड़ी कड़ियों को खंगालने के लिए जेल से रिहाई की प्रक्रिया को समझना जरूरी है। आमतौर पर कोर्ट से रिहाई के बावत मिले आदेश तिहाड़ जेल संख्या एक परिसर में स्थित एक विशेष अनुभाग में भेजा जाता है। यहां शाम के समय तिहाड़ व रोहिणी परिसर के सभी जेलों के प्रतिनिधि पहुंचते हैं और अपने अपने जेल के कैदियों के लिए रिहाई का आदेश प्राप्त करते हैं। यह आदेश वे अपने अपने जेल में लेकर जाते हैं। जेल में जिस कैदी को रिहा करने का आदेश है, उससे जुड़े तमाम मामलों की पड़ताल की जाती है। यह जानना महत्वपूर्ण होता है कि जिस कैदी को रिहा करने का आदेश मिला है, उसके उपर कितने मामले दर्ज हैं।
यदि कैदी पर और भी मामले दर्ज हों तो उसे रिहा नहीं किया जाता है। यदि सभी मामलों में उसे रिहा करने का आदेश हो तब तो उसे रिहा किया जाता है। इस मामले में यह जानना महत्वपूर्ण है कि आखिर गलती कहां हुई। क्या जेल संख्या एक के विशेष अनुभाग से ही गलती की शुरुआत हुई है।