अभिमनोजः बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीयू के प्रदर्शन में कितना फर्क है :-
बिहार में विधानसभा चुनाव के जब से नतीजे आए हैं, कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं |
यकीनन, कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जेडीयू का प्रदर्शन कांग्रेस के सापेक्ष कैसा है, जिसे मुख्यमंत्री का पद मिला है?
दरअसल, कांग्रेस पर निशाना साधने का सियासी मकसद साफ है कि उसे महागठबंधन से दूर करना, लेकिन क्या यह संभव है?
अभी बिहार में स्पष्ट बहुमत के साथ एनडीए की सरकार तो बन गई है, लेकिन इसे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है. यदि आधा दर्जन विधायकों ने भी अगर सियासी पाला बदल लिया तो सियासी तख्ता पलट हो सकता है?
परन्तु, ऐसी स्थिति में भी कांग्रेस के सहयोग के बगैर आरजेडी सरकार नहीं बना सकती है. जाहिर है, कांग्रेस पर सियासी हमला करने का सीधा मकसद महागठबंधन में दरार डालकर तेजस्वी यादव को सत्ता से दूर रखना है |
याद रहे, बिहार विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद नीतीश कुमार सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. रविवार को एनडीए विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को नेता चुना गया. इसके बाद नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया. सोमवार शाम 4.30 बजे नीतीश कुमार सीएम पद की शपथ लेंगे |
दिलचस्प तथ्य यह है कि विधानसभा चुनाव में जेडीयू की बीजेपी के मुकाबले 31 सीटें कम आई हैं, बीजेपी ने 74 और जेडीयू ने 43 सीटें जीती हैं |
बिहार का सियासी समीकरण बेहद उलझा हुआ है, इसलिए बीजेपी लाख कोशिश करे, अभी जेडीयू को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, तो भविष्य की सियासी संभावनाओं के मद्देनजर तेजस्वी यादव को कांग्रेस को साथ रखना ही होगा!