Main Slideदेशबड़ी खबर

हार्दिक पटेल मैं लडूंगा, जीतूंगा और मरते दम तक कांग्रेस में रहूंगा! वर्ष 2023 से सितारे बदलेंगे :-

देश में इन कुछ वर्षों में गुजरात के मोदी-शाह के अलावा हार्दिक पटेल सबसे ज्यादा सियासी चर्चाओं में रहे हैं. गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चा में आए हार्दिक पटेल अभी सियासत में अपेक्षित कामयाबी दर्ज नहीं करवा पाए हैं, लेकिन वर्ष 2023 के उतरार्ध से उनके सितारे बदलेंगे, हालांकि, अभी भी उनका सियासी समय खराब नहीं है, लेकिन उनकी प्रचलित कुंडली में केतु की महादशा शुरू होने के साथ ही वे राजनीति में कामयाबी का परचम लहरा पाएंगे |

क्या सच में गायब हो गए हार्दिक पटेल, पत्नी ने लगाया पुलिस पर आरोप | Sakshi  Samachar

उधर, ताजा गुजरात उप-चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार के बाद गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने इसे खुद की हार स्वीकार किया है, जहां बीजेपी ने सभी आठ सीटें जीतीं हैं |

हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया कि जीत-हार से व्यापारी बदलते हैं, विचारधारा के समर्थक नहीं. मैं लडूंगा, जीतूंगा और मरते दम तक कांग्रेस में रहूंगा |

उनका कहना है कि उन्हें गुजरात विधानसभा उप-चुनाव में लोगों का फैसला स्वीकार्य है |

उन्होंने विजयी उम्मीदवारों को बधाई दी और कहा कि हम कांग्रेस को मजबूत करने और जनता को वास्तविकता से अवगत कराने के लिए संघर्ष करेंगे. हम युवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, गांव और किसानों के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे |

खबर यह भी है कि गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल की ओर से गुजरात से बाहर जाने को लेकर दायर याचिका में गुजरात हाईकोर्ट ने राहत देते हुए 11 नवंबर से 2 दिसंबर 2020 तक राज्य से बाहर जाने की स्वीकृति प्रदान कर दी |

याद रहे, गुजरात पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चा और सियासी विवादों में आए हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने गुजरात का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था |

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले केन्द्र के कृषि कानूनों को लेकर भी हार्दिक पटेल ने देश के नाम एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे किसान बिल किसानों और देश के आम उपभोक्ताओं के जीवन अस्तित्व के लिए खतरनाक है |

उनका कहना था कि-

अब फसल की खरीदी कंपनियां करेंगी और इस काम से सरकार व मंडियों का नियंत्रण खत्म हो जायेगा |

ये कंपनियां किसानों से अपनी शर्तों पर बंधुआ के रूप में खेती करवा पाएंगी, जिसमें जोखिम किसानों का ही होगा |

कंपनियों की खरीदी व्यवस्था स्थापित होते ही सरकार आसानी से न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान करने और फसल की खरीदारी करने की व्यवस्था से पीछे हट जाएगी |

जब खाद्यान्न ‘आवश्यक वस्तु’ ही नहीं रहेगा, तब इनके भाव और व्यापार पर भी सरकारी नियंत्रण खत्म हो जायेगा |

सरकारी खरीद ही रुक जाएगी, तब इसके भंडार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था ही समाप्त हो जाएगी |

बीज, कीटनाशक और खाद्य की आपूर्ति एवं कृषि के लिए बिजली-पानी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी कंपनियों पर छोड़ दी जाएगी, जिसके लिए इन कंपनियों को भारी सब्सिडी भी दी जाएगी |

इन कृषि कानूनों का सबसे बड़ा नुकसान भूमिहीन खेत मजदूरों और सीमांत और लघु किसानो को होगा, जो हमारे देश के कुल खेतिहर परिवारों का 85 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं |

बहरहाल, हार्दिक पटेल गुजरात आंदोलन के बाद अब नई सियासी भूमिका में आए हैं |

देखना दिलचस्प होगा कि वे गुजरात में अगले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को कितनी कामयाबी दिला पाते हैं |

Related Articles

Back to top button