प्रदूषण और कोरोना ने पटाखा इंडस्ट्री को दिया बड़ा झटका; दिल्ली-एनसीआर में करीब 500 करोड़ के नुकसान का अनुमान :-

देशभर में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन लोग एक-दूसरे को तोहफे देते हैं, मिठाइयां खिलाते हैं. लोग घर की सजावट करते हैं और रोशनी करने के लिए दीया, मोमबत्ती जलाते हैं. इसके साथ दिवाली पर लोग खासकर बच्चे पटाखे भी जलाते हैं. लेकिन इस साल हालात कुछ अलग है. कोरोना महामारी और अब प्रदूषण की वजह से दिवाली मनाने के तरीकों में कुछ बदलाव हुए हैं. दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई हिस्सों में कोरोना और बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पटाखों पर बैन लगा दिया गया है. इससे पटाखा उद्योग और इसमें काम करने वाले लोगों को बड़ा झटका लगा है. पटाखों की बिक्री बिल्कुल शून्य है और इससे करोड़ों का नुकसान हुआ है. सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में करीब 500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है |
पटाखा विक्रेताओं की हालत खराब
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन हिंदी को बताया कि इस बार दिल्ली में पटाखा विक्रेताओं की हालत बहुत खराब है. दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री शून्य है. उन्होंने बताया कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाजत दी थी. इसके लिए अक्टूबर में लाइसेंस इश्यू किए गए थे. व्यापारियों ने अपना माल खरीद लिया, जीएसटी का भुगतान किया. दशहरा के बाद सेल बेहतर होने की उम्मीद थी. लेकिन फिर सभी लाइसेंस रद्द कर दिए गए. दिवाली से एक हफ्ते पहले पटाखों की बिक्री का सबसे बड़ा सीजन होता है. लेकिन दिवाली से पहले पटाखों पर बैन से करोड़ों का सामान बर्बाद हुआ है |
बवेजा ने बताया कि इस सामान को सामान्य दुकानों में नहीं रखा जा सकता है. इसके लिए खास तौर पर बने गोदाम होते हैं, जो पटाखों को स्टोर करने के नियमों के मुताबिक होते हैं. बवेजा के मुताबिक, इस वजह से वह गोदामों में पड़ा सामान पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा. साथ ही, ज्यादातर दुकानदारों को अस्थायी लाइसेंस मिलता है जो दिवाली से पहले बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाता है, जिसे अब रद्द कर दिया गया और कोई बिक्री नहीं हुई है |
जामा मस्जिद के पटाखा व्यापारी और महेश्वरी पटाखे के मालिक महेश्वर ने बताया कि केवल दिल्ली-एनसीआर में करीब 500 करोड़ के नुकसान का अंदेशा है. उनके मुताबित, पटाखा उद्योग का बुरा हाल 2016 में नोटबंदी के बाद से है. उन्होंने बताया कि जब केवल ग्रीन पटाखों की इजाजत दी गई, उसके बाद से दिवाली 2019 में इनमें केवल फुलझड़ी और अनार उपलब्ध हुए |
उनके मुताबिक, इसका इस्तेमाल शादी-विवाह में नहीं किया जाता. इनकी सेल के लिए केवल दिवाली का समय रहता है. दशहरा के बाद से मांग बढ़ने की उम्मीद थी. लेकिन बैन से हाल बहुत बुरा हो चुका है. साथ ही, क्योंकि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन 30 नवंबर तक है, तो इसमें शादी का सीजन भी बीत जाएगा. साथ में पटाखों को खास गोदामों में रखने का किराया भी देना पड़ता है. इस सब से पटाखा व्यापारी कर्ज में चले गए हैं. ज्यादातर व्यापारियों अस्थायी लाइसेंस वाले हैं, जिन्हें ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि केवल दिवाली ही उनकी बिक्री का सीजन है |