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भारतीय रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने के लिए लगाई पाबंदियां इस पर राहुल गांधी ने दिया बयान

सरकार ने वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी हैं. रिजर्व बैंक के निर्देशों के मुताबिक इस बैंक का कोई खाताधारक फिलहाल ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेगा. बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. अब इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है.

राहुल ने कहा कि ‘जनता का मनोबल टूट रहा और सामाजिक न्याय प्रतिदिन कुचला जा रहा.’ वायनाड सांसद ने ट्वीट किया कि ‘बैंक मुसीबत में हैं और GDP भी. महंगाई इतनी ज़्यादा कभी नहीं थी, ना ही बेरोज़गारी. जनता का मनोबल टूट रहा और सामाजिक न्याय प्रतिदिन कुचला जा रहा है. विकास या विनाश

बता दें कि सरकार ने डीबीएस इंडिया द्वारा लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की योजना की भी घोषणा कर दी है. बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बैंक की ओर से विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना नहीं पेश करने की स्थिति में खाताधारकों के हित में यह फैसला किया गया है. साथ ही बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरिता के हितों का भी ख्याल रखा गया है

रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशक मंडल को भी हटा दिया है और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टीएन मनोहरन को 30 दिनों के लिये उसका प्रशासक नियुक्त किया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. इसलिए बैकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंक पर पाबंदी लगायी है.

बयान में कहा गया है, ‘रिजर्व बैंक के परामर्श पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने आज (मंगलवार) से बैंक पर 30 दिन के लिए पाबंदियां लगायी हैं.’ आदेश के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना बचत, चालू या किसी तरह के जमा खाते से किसी जमाकर्ता को कुल मिलाकर 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करेगा.

यस बैंक के बाद इस साल मुश्किलों में फंसने वाला लक्ष्मी विलास बैंक निजी क्षेत्र का दूसरा बैंक बन गया है. यस बैंक के ऊपर मार्च में पाबंदियां लगायी गयी थीं. सरकार ने तब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मदद से यस बैंक को उबारा था. एसबीआई ने यस बैंक की 45 प्रतिशत हिस्सेदारी के बदले 7,250 करोड़ रुपये लगाया था.

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