कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच आज से शुरू हो रहा बिहार की नई विधानसभा का पहला सत्र
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की नई सरकार के गठन के बाद सोमवार से विधानसभा का पहला सत्र शुरू होने जा रहा है. कोरोना के खतरे को देखते हुए पांच दिवसीय बिहार विधानमंडल का सत्र बदला-बदला सा नजर आएगा. वहीं, पिछले सत्र तक दिखने वाले आधे से ज्यादा विधायक इस बार विधानसभा में नहीं दिखेंगे जबकि 90 विधायक पहली बार सदन के सदस्य के तौर पर नजर आएंगे.
*कोरोना संक्रमण के चलते विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही अपने-अपने सदन में नहीं होगी. विधान परिषद की कार्यवाही विधानसभा वाले हॉल में की जाएगी जबकि विधानसभा की कार्यवाही विधानसभा के विस्तारित भवन में आयोजित होगी. इसको लेकर विधानसभा और विधान परिषद से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. कोरोना काल को देखते हुए यह अहम फैसला विधानमंडल से लिया गया है. इसी तरह विधानसभा का सत्र विधानसभा के हॉल में नहीं होगा यानी कि जो पहले से जगह तय है उन जगहों पर विधानसभा और विधान परिषद की सभाएं इस बार नहीं होंगी.
*कोरोना संकट को देखते हुए विधानमंडल सत्र के दौरान दोनों सदनों के सदस्य सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए एक दूसरे से दूरी बना कर बैठेंगे. इसके अलावा सभी सदस्यों को सत्र के दौरान सदन में मास्क लगाकर ही बैठना होगा.
*इस बार की विधानसभा में 90 सदस्य पहली बार नजर आएंगे जबकि पिछली सत्र तक दिखने वाले करीब डेढ़ सौ विधायक चुनाव हार जाने के चलते सदन में नहीं नजर आएंगे. हालांकि, 16वीं विधानसभा के 89 विधायक ऐसे हैं, जो इस बार भी यानी 17वीं विधानसभा के लिए चुने गए हैं. वो सत्र में जरूर दिखेंगे. इसके अलावा पेंशनभोगी 64 पूर्व विधायकों की किस्मत खुली और वे फिर विधायक चुने गए हैं, जिसके चलते एक बार फिर से सदन में नजर आएंगे.
*बिहार विधानसभा में आरजेडी जरूर सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन दूसरे नंबर की पार्टी अब बीजेपी बन गई है जबकि जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. बीजेपी 74, जेडीयू 43, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के चार, वीआईपी 4 और एक निर्दलीय सदस्य सत्तापक्ष के साथ दिखेंगे जबकि विपक्षी खेमे में आरजेडी 75, कांग्रेस 19, सीपीआई (माले) 12, सीपीआई 2 और सीपीएम के 2 सदस्य हैं. इसके अलावा पांच
*बिहार विधानसभा में महिला सदस्य पिछली बार की तरह नहीं दिखेंगी. इस बार महिला सदस्यों की संख्या विधानसभा में कम हो गई है. पिछले सदन तक 28 महिला विधायक थी जबकि अब सदन में सिर्फ 26 महिलाएं ही नजर आएंगी. हालांकि, एक बात जरूर है कि इस बार महिलाएं बीजेपी खेमे की ओर से ज्यादा महिलाओं की आवाज सुनाई देगी. बीजेपी से 9, जेडीयू से 6, आरजेडी से 7, कांग्रेस से 2 और HAM-VIP से एक-एक महिला सदस्य दिखेंगी.
*विधानसभा सत्र में मुस्लिम विधायक पहले की तरह नहीं दिखेंगे. पिछली बार की तुलना में मुस्लिम सदस्यों की संख्या कम है. नीतीश के नेतृत्व वाले एनडीए की ओर से एक भी मुस्लिम सदन में नहीं दिखेंगे. वहीं, विपक्ष दल की ओर से जरूर 19 मुस्लिम विधायक सदन में नजर आएंगे. नीतीश की राजनीति में पहली बार जब उनकी पार्टी जेडीयू से कोई मुस्लिम सदन में नहीं पहुंचा है.
*बिहार विधानसभा में मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के चार सदस्य नजर आएंगे और ऐसे ही 10 साल के बाद बसपा की सदन में वापसी हो पाई है. 2010 के बाद बसपा के एक सदस्य इस बार जीत दर्ज की है. इसके अलावा विभिन्न दलों से 90 विधायक पहली बार सदन में पहुंचे हैं.
*बिहार विधानसभा में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की ताकत बढ़ी है. AIMIM के 5 विधायक अब सदन में दिखेंगे. जीतनराम मांझी की पार्टी HAM की ताकत भी सदन में बढ़ी है. उनकी पार्टी के एक से बढ़कर चार सदस्य हो गए हैं. बीजेपी की सदन में एक बड़ी ताकत के तौर पर उभरी है. बीजेपी 53 से बढ़कर 74 हो गई है. वहीं, आरजेडी से लेकर जेडीयू की संख्या घटी है. आरजेडी 81 से घटकर 75, जेडीयू 71 से कम होकर 43 पर आ गई है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी की आवाज सदन में सुनाई नहीं देगी और एलजेपी की संख्या भी दो से घटकर एक हो गई है.
*बिहार विधानमंडल में बीजेपी के चेहरे सुशील मोदी हुआ करते थे, लेकिन इस बार वो चेहरे नहीं बन सके हैं. सुशील मोदी की जगह बीजेपी का चेहरा सदन में डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद होंगे. बीजेपी की ओर से विपक्ष के सारे सवालों का जवाब देने का काम करेंगे.
*बिहार विधानमंडल में नीतीश कुमार के पुराने कई सिपहसलार नजर नहीं आएंगे. नीतीश की कैबिनेट में रहे 10 मंत्री इस बार चुनाव नहीं जीत सके हैं. ऐसे में उनकी बिहार विधानसभा में अब उनकी आवाज सुनाई नहीं देगी. इनमें जेडीयू कोटे से 8 और बीजेपी के 2 मंत्री शामिल हैं.