भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा अपने शैक्षणिक दायरे के जनपदों की लोकल विधाओं, लोकल उत्पादों पर रिसर्च की जानी चाहिए। इन उत्पादों की मार्केटिंग, ब्राण्डिंग, मैनेजमेन्ट आदि के सम्बन्ध में स्ट्रेटजी बनाई जानी चाहिए।
स्थानीय उत्पादों पर व्यापक शोध से सरकार को इनके सम्बन्ध में नीति बनाने में सहायता मिलेगी। साथ ही, स्थानीय उत्पादों को ग्लोबली काॅम्पटीटिव बनाया जा सकेगा। लोकल विधाओं, लोकल उत्पादों पर अध्ययन एवं शोध से ‘एक जनपद एक उत्पाद’ की भावना सच्चे अर्थाें में साकार होगी।
प्रधानमंत्री जी आज वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी उत्सव एवं स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने ई-माध्यम से लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष पर आधारित विशेष डाक टिकट, विशेष कवर एवं विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी वर्चुअल माध्यम से लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी उत्सव एवं स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। केन्द्रीय रक्षा मंत्री एवं लखनऊ के सांसद श्री राजनाथ सिंह जी भी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री जी एवं केन्द्रीय रक्षामंत्री जी ने इस अवसर पर डाॅक्यूमेण्ट्री फिल्म ‘ये है लखनऊ विश्वविद्यालय’,
काॅफी टेबेल बुक ‘यूनिवर्सिटी आॅफ लखनऊ’, पुस्तक ‘यूनिवर्सिटी आॅफ लखनऊ: ऐन ओडिसी आॅफ हण्ड्रेड ईयर्स’ तथा शताब्दी कैलेण्डर का विमोचन किया।प्रधानमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का केन्द्र होने के साथ ही, ऊंचे लक्ष्यों और ऊंचे संकल्पों को हासिल करने की प्रेरणा भूमि होते हैं।
100 वर्षाें में लखनऊ विश्वविद्यालय के योगदान को उल्लेखनीय बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 को ध्यान में रखकर आगामी वर्षाें में अपने द्वारा किए जा सकने वाले योगदान का रोडमैप तैयार कर उसे मूर्त रूप देने का प्रयास किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक विद्यार्थियों का सामथ्र्य बढ़ाने के साथ ही, उन्हें अपनी सामथ्र्य पहचानने में भी मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि सामथ्र्य के साथ नीयत एवं इच्छा शक्ति होने की भी जरूरत है।
इच्छा शक्ति न होने पर जीवन में सही नतीजे नहीं मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सोच में पाॅजिटिविटी तथा एप्रोच में पाॅसिबिलिटी बनाए रखने से कठिन से कठिन लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए आत्ममंथन की आदत भी जरूरी है। इसका सीधा प्रभाव सामथ्र्य और इच्छा शक्ति पर पड़ता है।