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ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका की वैक्‍सीन को लेकर खड़े हुए ये बड़े सवाल…

ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका की वैक्‍सीन को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। इस बीच कंपनी के सीईओ पास्‍कल सोरिओट ने घोषणा की है कि वह दुनियाभर के वैक्‍सीन का अतिरिक्‍त ट्रायल करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, उन्‍होंने यह भी साफ कर दिया है कि ये ट्रायल फिलहाल चल रहे ट्रायल से अलग और कम लोगों पर होगा, ताकि परिणाम जल्‍द से जल्‍द सामने आ सकें। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे पूरे विश्‍व को इस समय एस्ट्राजेनेका की वैक्‍सीन से काफी उम्‍मीदें हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्‍सफोर्ड की वैक्‍सीन की आधी खुराक ने फुल डोज के मुकाबले ज्‍यादा बेहतर तरीके से काम किया है। इन विवादों के बीच कंपनी के सीईओ पास्‍कल ने कहा, ‘हमें प्रतीत होता है कि हमारी वैक्‍सीन अनुमान से ज्‍यादा अच्‍छी प्रभावी क्षमता हासिल कर ली है। अब हमें इसकी पुष्टि करनी होगी। इसके लिए हमें एक अतिरिक्‍त अध्‍ययन की आवश्‍यकता है। यह एक और अंतरराष्‍ट्रीय अध्‍ययन होगा, लेकिन मौजूदा ट्रायल से इसे अलग किया जाएगा। साथ ही इसे कम लोगों पर और तेजी से किया जाएगा।’

इस सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने लोगों को न घबराने और एस्ट्राजेनेका की वैक्‍सीन पर पूरा विश्‍वास रखने को कहा है। सीआइआइ ने कहा कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है। भारत में इसके ट्रायल को सभी प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए किया जा रहा है। बता दें कि पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट इस वैक्सीन का उत्पादन और भारत में इसका क्लीनिकल ट्रायल कर रहा है।

उल्‍लेखनीय है कि एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने यह स्वीकार किया कि ट्रायल के दौरान कुछ लोगों पर दी गई वैक्‍सीन की डोज में गलती हुई थी। इससे वैक्‍सीन के असर से जुड़े डेटा पर सवाल खड़े हो गए। अब एक्‍सपर्टस पूछ रहे हैं कि क्‍या एडिशनल टेस्टिंग में यह डेटा बरकरार रहेगा या यह और कम होगा। दरअसल, इन दिनों कई देश अपनी-अपनी वैक्‍सीन पर कर रहे हैं और सब बेहतर नतीजों का दावा कर रहे हैं। बता दें कि आक्सफोर्ड-आस्ट्राजेनेका ने पहली बार ट्रायल के नतीजों की घोषणा करते हुए दो अलग-अलग डोज का राज खोला था। वैक्सीन 90 फीसद कारगर डोज के बजाय 60 फीसद कारगर डोज से काम चलाना पड़ेगा।

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