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किसानों के साथ मेधा पाटकर का यूपी बॉर्डर पर सत्याग्रह, ठंड और बारिश में भी उत्साह बरकरार :-

कृषि कानून के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने यूपी-राजस्थान बॉर्डर पर सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया है। बुधवार की रात आठ बजे लगभग दो सैकड़ा किसानों के साथ दिल्ली जा रहीं पाटकर को पुलिस ने रोक दिया था। कई दौर की बातचीत के बाद भी बात नहीं बनी, तो उन्होंने गुरुवार रात बार्डर पर भी धरने का ऐलान कर दिया। शांतिपूर्वक किए जा रहे सत्याग्रह में 24 घंटे बाद भी

किसानों के साथ दिल्ली जा रहीं मेधा पाटकर को आगरा में रोका तो सड़क पर ही  शुरू हुआ धरना- Hum Samvet

किसानों का उत्साह बरकरार है। हाईवे पर भीषण ठंड और दिन में हुई बारिश के बीच वे जमे रहे। लगातार नारेबाजी चलती रही। एक दूसरे के जोश से ऊर्जा लेते हुए उन्होंने वहीं डटे रहने का ऐलान कर दिया। इस बीच मध्य प्रदेश और राजस्थान से आए किसानों ने संख्याबल को बढ़ा दिया। उन्हें खाना उपलब्ध कराने के लिए धौलपुर के राजाखेड़ा से कांग्रेस विधायक पहुंच गए। आसपास के ग्रामीण लगातार उनकी सेवा में लगे रहे।

आंदोलन के चलते दिल्ली-मुंबई राजमार्ग पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया और हजारों वाहन फंस गए। पुलिस ने सख्ती के साथ राजमार्ग की एक साइड खोल दी है। वाहन धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं। मौके पर मौजूद किसान नारेबाजी के साथ धरने पर बैठे हुए हैं। मेधा पाटकर का कहना है कि संविधान की रक्षा करना जरूरी हो गया है। मजदूर, किसान सबके साथ अन्याय हो रहा है। केंद्र सरकार ने सारा कुछ निजी हाथों में दे दिया है।

बुधवार रात करीब आठ बजे मेधा पाटकर को लगभग दो सौ किसानों के साथ राजस्थान-यूपी बार्डर पर सैंया, आगरा में आगरा पुलिस ने रोक लिया था। वे सब किसान कानून के विरोध में दिल्ली में हो रहे आंदोलन में शामिल होने जा रहे थे। एसएसएपी बबलू कुमार का कहना है कि उन्हें शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए रोका गया है।

इसके बाद पाटकर ने किसानों के साथ वहीं धरना शुरू कर दिया, जो करीब 24 घंटे से जारी है। गुरुवार को दिन तक वे सब बिना खाए-पिए बैठे थे। इसके बाद धौलपुर राजस्थान में राजा खेड़ा के कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा ने सभी किसानों को नाश्ता, खाना आदि उपलब्ध कराया। उन्होंने महिलाओं को शॉलें भी दीं। मेधा और किसानों का कहना है कि वे यूपी में प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। उन सबको दिल्ली जाना है। उन्हें क्यों रोका गया, ये पता नहीं है। पाटकर ने धरना स्थल पर बातचीत करते हुए कहा कि यूपी सरकार और राजस्थान सरकार आपस में बात नहीं कर सकती। ऐसी स्थिति में जन आंदोलनों की राजनीति हम आगे बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के जीने का रास्ता रोक रही है।

गुरुवार को सुबह लगभग दो दर्जन वाहनों के काफिले में किसान मध्य प्रदेश से सीमा पर पहुंच गए। उन्हें भी दिल्ली जाना है। वहीं दिन में धौलपुर, राजस्थान के राजा खेड़ा के विधायक समेत कई किसान मौके पर पहुंच गए। इधर, धौलपुर के जिलाधिकारी राजेश कुमार जैसवाल, एसपी केशव सिंह, आगरा के एसपी ग्रामीण रवि कुमार, एसडीएम खेरागढ़ अंकुर कौशिक पुलिसबल के साथ मौके पर ही मौजूद हैं।
किसानों के धरने के कारण ग्वालियर हाईवे पर दूर तक वाहनों की कतार लग गई। किसानों के वाहनों के साथ अन्य वाहनों को भी पुलिस ने चेकिंग के लिए रोक दिया है। हाईवे के दोनों तरफ वाहन खड़े हो गए। बाद में राजस्थान और आगरा पुलिस ने किसानों से बातचीत कर एक लाइन को शुरू करा दिया है।

जब 44 कानून रद तो तीन रद करने में क्या: मेधा
हम जन आंदोलनों की राजनीति को आगे बढ़ाना चाहते हैं। किसानों और मजदूरों के जीने का रास्ता रोका जा रहा है। किसानों के हित के 44 कानून रद करने की बात कैसे सोची जा सकती है। जब इतने कानून रद हो सकते हैं तो किसान विरोधी तीन कानून रद करना तो एक कलम की बात है। किसानों के विरोध और पूंजीपतियों के समर्थन में कानून बनाने का अधिकार किसने दिया। मनमानी की जा रही है।
हम कहते हैं कि इन कानूनों ने से न किसान बचेगा, न मजदूर बचेगा, न देश बचेगा। जातिवाद और हिंसा फैलाई जा रही है। हाथरस जैसा कांड हो रहा है यूपी में। हम राजस्थान की जमीन पर खड़े हैं। हम उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार दोनों से जवाब चाहती है। देश के संघात्मक ढांचे को नकारा जा रहा है। किसानों को नकारा जा रहा है। सरकार किसानों की जमीन पूंजीपतियों को देना चाहती है। शिक्षा और स्वास्थ्य तो दे चुकी है। कई अन्य सरकारी उपक्रमों का निजीकरण कर दिया गया। अब केवल खेती बची है। हमारे जिंदा रहने तक ये सुरक्षित। संविधान दिवस पर हम इसकी रक्षा की हक के साथ मांग करते हैं।

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