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जम्मू-कश्मीर : शरणार्थियों ने 70 साल में पहली बार डाला वोट

जम्मू-कश्मीर में शनिवार को डीडीसी के पहले चरण के चुनाव के दौरान मतदाताओं का उत्साह चरम पर था। आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाए जाने और राज्य के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां पहली बार चुनाव आयोजित किया जा रहा था। एक साल से भी ज्यादा वक्त के भीतर घाटी में यह पहला लोकतांत्रिक अभ्यास था। स्थानीय चुनाव में कई समुदायों ने पहली बार मतदान किया, जिनमें पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी, वाल्मीकि, गोरखा समुदाय के लोग शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद 70 सालों में पहली बार इन समुदाय के लोगों को स्थानीय चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करने का अवसर मिला है। वे लोग अब जम्मू-कश्मीर में न सिर्फ वोट दे सकते हैं बल्कि राज्य में जमीन खरीदने तथा नौकरियों के लिए आवेदन करने के भी वे पात्र बन चुके हैं। बीते साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था।

Refugees From Pakistan Expressed Happiness Over The Right To Vote - जम्मू  कश्मीर : पाकिस्तान से आए शरणार्थी मतदान की कतार में खडे होकर बोले, 70 साल  बाद हुआ इंसाफ - Amar

स्थानीय चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘हमने न्याय, समानता और स्वतंत्रता जैसे शब्द सुन रखे थे लेकिन पहली बार हम उन्हें महसूस कर रहे हैं।’ पश्चिमी पाकिस्तान से आई शरणार्थी सुजाती भारती ने कहा कि वह अब अपने आपको स्वतंत्र महसूस कर रही हैं क्योंकि वह स्थानीय लोगों के साथ वोट देने के लिए कतार में खड़ी थीं। उन्होंने हा कि सात दशक के लंबे संघर्ष के बाद उन्हें न्याय मिला है।

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