कृषि कानूनों की आड़ में चल रहा भ्रम फैलाने का खेल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंच गए हैं. पीएम मोदी एयरपोर्ट से सीधा वाराणसी के खजूरी पहुंचे, जहां उन्होंने सिक्स लेन हाईवे का लोकार्पण किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुना MSP देंगे. ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है.
उन्होंने कहा हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाजारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे. बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी. पहले यूरिया ब्लैक में लेना होता था, यूरिया लेने आए किसानों पर लाठीचार्ज तक होता था. किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं. लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी. सालों तक MSP को लेकर छल किया गया. किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे. लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे. अप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है.
जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है. पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था. लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि भ्रम फैलाकर आशंकाओं को बनाया जा रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं. नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है. ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे. ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था. अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है. किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है.’
पीएम मोदी ने कहा कि जब किसी क्षेत्र में आधुनिक कनेक्टिविटी का विस्तार होता है, तो इसका बहुत लाभ हमारे किसानों को होता है. बीते वर्षों में ये प्रयास हुआ है कि गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ भंडारण, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं खड़ी की जाएं. इसके लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया गया है.