14 जनवरी से आयोजित होने जा रहे माघ मेले में होंगेर ये सभी बड़े बदलाव
कोविड के संक्रमण काल में संगम की रेती पर 14 जनवरी से आयोजित होने जा रहे माघ मेले को लेकर हुई मेला सलाहकार समिति की पहली बैठक में मेले के आयोजन को लेकर तस्वीर काफी हद तक साफ हो गयी है. डीएम भानु चन्द्र गोस्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीएम ने साफ कर दिया है कि बगैर कोविड की निगेटिव जांच रिपोर्ट के मेले में आने वाले श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु संतों को प्रवेश नहीं मिलेगा.
उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि मेले में आने वाले लोगों को अधिकतम तीन दिन पुरानी आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लानी अनिवार्य होगी. इसके साथ ही मेले में आने वाले कल्पवासियों का डाटा बेस भी तैयार किया जायेगा और 15-15 दिनों में दो बार रैपिड एंटीजेन किट से हर कल्पवासी की कोविड जांच भी करायी जायेगी. इसके साथ ही मेले में अधिक भीड़ भाड़ न हो इस बार मेले में जरुरी दुकानों को छोड़कर दुकानों पर भी पाबंदी लगायी जा रही है.
बैठक में डीएम ने दंडी बाड़ा, खाक चौक, आचार्य बाड़ा और तीर्थपुरोहितों की संस्था प्रयागवाल से अपील की है कि वे श्रद्धालुओं को इस बात के लिए प्रेरित करें कि कम से कम लोग मेले में आयें और घर पर ही संकल्प लेकर कल्पवास करें. डीएम भानु चन्द्र गोस्वामी ने कहा है कि किसी भी शिविर में एक भी पॉजिटिव मरीज निकलने पर सभी लोगों को 15 दिनों के लिए आइसोलेट करना पड़ेगा, जिससे कल्पवास खंडित हो जायेगा.
उन्होंने कहा है कि मेले के प्रति लोगों की धार्मिक आस्था है, इसलिये किसी को मेले में आने से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कोरोना के खतरे के प्रति लोगों को जागरुक और आगाह किया जा सकता है. डीएम ने अपील की है कि जिन लोगों को डायबिटीज, दिल की बीमारी है वे कतई मेले में न आयें, क्योंकि उनके संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है. उन्होंने कहा है कि मेले में भीड़ को नियंत्रित करने का प्राधिकरण हर संभव कोशिश भी करेगा.
गौरतलब है कि इस बार का माघ मेला 14 जनवरी मकर संक्रान्ति से 11 मार्च महाशिव रात्रि के पर्व तक चलेगा. हांलाकि कोविड के चलते इस बार मेले का क्षेत्रफल घटाकर 538.34 हेक्टेयर कर दिया गया है और चार सेक्टरों में ही मेला बसाया जा रहा है. लेकिन माघ मेले में हर साल स्नान पर्वों को मिलाकर करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. इनमें पांच लाख के लगभग कल्पवासी और हजारों साधु संत भी शामिल होते हैं. जिन्हें कोरोना काल में नियन्त्रित करना और सुरक्षित घर वापस भेजना मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.