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बस्तर: एक बार फिर खनन के विरोध में इकट्ठा हुए हजारों आदिवासी :-

एक बार फिर बस्तर के आदिवासी जंगल और जमीन बचाने के लिए एकजुट हो गए हैं। यहां पर आदिवासी आमादई खदान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। छत्तीसढ़ के बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के धौड़ाई के पास हजारों की संख्या में आदिवासी मौजूद इकट्ठा हो गए हैं। घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी धरने पर बैठे हैं। आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए धौड़ाई के पास सड़क को बंद कर दिया है। 6 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी नारायणपुर के धौड़ाई के पास हजारों की संख्या में आदिवासी मौजूद हैं. घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी धरने पर बैठे हैं. आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए धौड़ाई के पास रोड़ बंद कर दिए हैं, जिसके कारण नारायणपुर से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा | सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष बीसल नाग कहते हैं, “जब हमारी उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, जंगल से नहीं हटेंगे। इतना ही नहीं 17 दिसंबर तक के लिए आदिवासी राशन-पानी भी अपने साथ लेकर आए हैं।”

दंतेवाड़ा: पुलिस कैंप के विरोध में एक साथ इकट्ठा हुए सैकड़ों आदिवासी

इससे पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला पर्वत श्रृंखला के नंदराज पहाड़ी पर विराजे अपने देवता को बचाने के लिए हजारों आदिवासी इकट्ठा हुए थे। आदिवासियों ने कहा कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर किसी भी प्रकार के दुपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बर्दाश्त नहीं करेंगे। साथ ही सप्ताहिक छोटे डोंगर बाजार भी पूरी तरह बंद रहेंगे। इस दौरान आदिवासियों ने बंद रोड़ के बीच एंबुलेंस को रास्ता दिया। बस्तर संभाग के सातों जिले के आदिवासी हड़ताल पर मौजूद हैं। आमादई खदान कैंप को लेकर विरोध शुरू किया है। इसके अलावा गांव के 6 लोगों को नक्सली मामले में फंसाने को लेकर भी आदिवासियों में नाराजगी देखी जा रही है। प्रशासन ने इन्हें गांव में वापस लौटने को कहा है, लेकिन ग्रामीण किसी से भी चर्चा करने को राजी नहीं हैं। लिहाजा राशन पानी लेकर बीच जंगल में आदिवासियों ने डेरा डाल दिया है।

नारायणपुर जिले के आमादई खदान को सराकर ने निक्को कंपनी को लीज पर दिया है। निक्को कंपनी जल्द ही खदान शुरू करने की तैयारी कर रही है। ऐसे में आदिवासियों ने खदान शुरू होने से इलाके को नुकसान होने का अंदेशा जाहिर किया है। अब आदिवासियों ने खदान का विरोध शुरू कर दिया है। बीसल नाग आगे कहते हैं, “खदान के शुरू होने से हमारे जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान होगा। हम अपनी धरती को भगवान की तरह मानते हैं। ऐसे में निजी कंपनी के दखल से हमारा इलाका सुरक्षित नहीं रहेगा। हमारी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक हम हजारों की संख्या में धरना देंगे. रास्ता रोकेंगे. आगे बढ़ते जाएंगे।” अबूझमाड़ इलाके के छोटे डोंगर से शुरू हुई ग्रामीणों की रैली मुख्य मार्ग से होते हुए धौड़ाई तक पहुंची है। सभी ग्रामीण दौड़ाई के जंगलों में धरने पर बैठ गए हैं। आंदोलन में महिला, बुजुर्ग, बच्चे आगामी 17 दिसंबर तक धरने पर बैठे हैं। आंदोलनरत आदिवासियों को तहसीलदार और टीआई लेबल के अधिकारी समझाने पहुंचे थे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे बात करने नहीं आएंगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। आदिवासियों की मांग है कि निक्को कंपनी को खदान ना दिया जाए। साथ ही जिन 6 लोगों को नक्सली बताकर जेल में डाला गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रहेगा।

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