सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट दुष्यंत दवे ने दिया बड़ा बयान। ..
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलनरत हैं और सरकार के साथ पांचवें दौर की बातचीत से पहले किसानों ने बड़ा ऐलान किया कि आज शनिवार को किसान संगठन प्रधानमंत्री का पुतला फूंकेंगे. साथ ही 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान भी किया है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि वे किसानों के लिए मुफ्त में केस लड़ने को तैयार हैं.
किसानों की संघर्ष समिति के सदस्यों की बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और एडवोकेट दुष्यंत दवे ने शुक्रवार को कहा यदि किसान किसी भी मामले को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लड़ना चाहते हैं तो मैं उनके लिए मुफ्त में केस लड़ने को तैयार हूं.
मैं किसानों के साथ खड़ा हूं.सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के इस प्रस्ताव का एडवोकेट एचएस फूलका ने कहा कि हम दुष्यंत दवे के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने किसानों की कानूनी रूप से मदद करने की पेशकश की. सरकार को सोचना चाहिए कि जब देश के वरिष्ठ वकील ही कह रहे हैं कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं तो सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए.
If they (farmers) want to fight any case in High Court & Supreme Court then I am ready to appear for them free of charge. I stand with farmers: Advocate Dushyant Dave & president of Supreme Court Bar Association after meeting members of Sangharsh Committee of farmers. (4.12) pic.twitter.com/QCpwJCQYt2
— ANI (@ANI) December 4, 2020
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के महासचिव, एचएस लखोवाल ने शुक्रवार को कहा कि शनिवार को देशभर में पीएम नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे. हमने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान भी किया है
We are thankful to Dushyant Dave has offered to help farmers legally. Govt should think if senior lawyers of the country are saying that these laws are not in the interest of the farmers then Govt should think about it: Advocate HS Phoolka. (4.12) https://t.co/5L5v1wcOVv pic.twitter.com/BRgBiEa4QZ
— ANI (@ANI) December 4, 2020
दिल्ली सिंधु बॉर्डर पर डेरा डाले अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि केंद्र का कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है, मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा. इसलिए हमने फैसला लिया है कि अगर सरकार कोई संशोधन रखेगी तो हम संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे.