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हैदराबाद चुनाव में भाजपा की जीत के जानें मायने :-

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में सफलता हासिल कर बीजेपी ने दक्षिण भारत में अपने लिए नया रास्ता खोला है। टीआरएस और AIMIM के गढ़ में बीजेपी ने अपनी ताकत 12 गुना बढ़ाई और मुकाबले को त्रिकोणीय बना डाला। हैदहाबाद चुनाव में जीत के बाद बीजेपी को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में फायदा मिलने की उम्मीद जगी है। कहने को तो ये हैदराबाद के निकाय चुनाव हैं लेकिन दक्षिण भारत में बीजेपी के लिए यह बेहद अहम है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद लोकल चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला।

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ओवैसी के गढ़ में बीजेपी ने सेंध लगाकर AIMIM के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी है। इससे टीआरएस को भी बड़ा झटका लगा है। साल 2016 के चुनाव में टीआरएस ने जहां 99 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार 55 सीटों से बड़ी पार्टी बनी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के चार सांसद यहां से चुने गए थे। इस चुनाव में बीजेपी की सफलता ने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए टाआरएस को बड़ी चुनौती पेश की है। साल 2018 के विधानसभा चनाव में बीजेपी के यहां से दो विधायक चुने गए थे। बीजेपी ने राज्य की 117 सीटों में से 100 सीटों पर अपनी जमानत गंवाई थी। उसके बाद दो साल के भीतर टीआरएस की प्रमुख प्रतिद्वंदी बनकर उभरी है। हैदराबाद निकाय चुनाव में बीजेपी की सफलता का दक्षिण भारत के लोगों में एक बड़ा संदेश जाएगा। वहीं ओवैसी की पार्टी 51 सीट पर चुनाव लड़ी और 44 सीटों पर जीत हासिल की।

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