आज पांचवें दौर की बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मीटिंग में रहे मौजूद
नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों और केंद्र सरकार में टकराव बरकरार है। विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच आज पांचवें दौर की बातचीत चल रही है। किसानों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी मांगों से टस से मस नहीं होंगे।
शनिवार की बैठक में सरकार से दो टूक कह दिया गया कि अब आगे बातचीत नहीं होगी। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह कैबिनेट के वरिष्ठ साथियों को आवास पर बुलाया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि नरेंद्र सिंह तोमर इस मीटिंग में मौजूद रहे।
#WATCH Delhi: Farmer leaders, present at the fifth round of talks with Central Government, have food that they had carried to the venue.
A Kar Sewa vehicle that carried food for them arrived here earlier today. They'd got their own food even during 4th round of talks on Dec 3. https://t.co/hDP8cwzSGJ pic.twitter.com/XSR6m2lljS
— ANI (@ANI) December 5, 2020
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने किसान नेताओं से कहा कि सरकार पंजाब की भावनाओं को समझती है और उनकी चिंताओं का समाधान करने के लिए तैयार है। उधर, किसान नेता आज की बैठक में भी कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर कायम हैं आज भी किसानों ने अपना खाना खाया, जो कुछ देर पहले एक वाहन से उनके लिया विज्ञान भवन लाया गया था। किसान नेताओं ने लाइन में लगकर प्लेट में भोजन लिया और वहीं जमीन पर बैठकर खाया।
पांचवें दौर की बैठक के दौरान, किसानों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक का पॉइंटवाइज जवाब देने की मांग की। इसपर सरकार राजी हो गई है। सरकार अपने जवाब किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को उपलब्ध कराएगी बैठक में किसानों ने कहा कि उन्हें इस पूरे विवाद का कोई हल/पक्का वादा चाहिए।
#WATCH | Farmers continue their protest against the farm laws at Delhi-Haryana border in Singhu.
Fifth round of talks is scheduled to take place between farmers' representatives and the Central government at 2 pm today. pic.twitter.com/cIHpIveOzx
— ANI (@ANI) December 5, 2020
उन्होंने कहा कि वे आगे चर्चा नहीं चाहते और यह भी नहीं जानना चाहते कि सरकार ने उनकी मांगों पर क्या फैसला किया है। इससे पहले, आजाद किसान संघर्ष समिति के पंजाब प्रमुख हरजिंदर सिंह टांडा ने कहा हम कानूनों का पूरी तरह से रोलबैक चाहते हैं। अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो हम धरना जारी रखेंगे।
हजारों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल रखा है। सिंघु बॉर्डर हो या फिर नोएडा से लगा चिल्ला बॉर्डर, किसान सड़कें जाम कर बैठे हुए हैं। चिल्ला बॉर्डर पर समाजवादी पार्टी के एक नेता किसानों के लिए खाने-पीने का सामान लेकर पहुंचे थे। किसानों ने किसी राजनीतिक पार्टी से मदद नहीं लेने की बात कहकर उन्हें वापस लौटाया।
नए कृषि कानून को लेकर किसानों को हैं ये कुछ डर। …..
During 5th round of talks at Vigyan Bhawan, farmers' representatives asked the Central Govt to give a pointwise written reply of the last meeting, to which the govt has agreed https://t.co/EzZgHcoHTr
— ANI (@ANI) December 5, 2020
1. किसानों का मानना है कि कृषि बाजार और कंट्रैक्ट फार्मिंग पर कानून से बड़ी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा। कृषि खरीद पर कंपनियों का नियंत्रण होगा। कृषि उत्पादों की सप्लाई और मूल्यों पर भी उनका कब्जा हो जाएगा। भंडारण, कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग और फसलों के ट्रांसपोटेशन पर भी एकाधिकार की आशंका। नए कानून से मंडी सिस्टम के खत्म हो जाएगा।
2. आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन से जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा। सभी शहरी और ग्रामीण गरीबों को बड़े किसानों और प्राइवेट फूड कॉर्पोरेशनों के हाथों में छोड़ देना होगा।
3. कृषि व्यापार कंपनियां, प्रोसेसिंग कंपनियां, होलसेलर्स, ऐक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स अपने हिसाब से बाजार को चलाने की कोशिश करेंगे। इससे किसानों को नुकसान होगा।
4. इस कानून में विवादों के निपटारा के लिए SDM कोर्ट को फाइनल अथॉरिटी बनाया जा रहा है। किसानों की मांग है कि उन्हें उच्च अदालतों में अपील का अधिकार मिलना चाहिए।
5. कृषि अवशेषों के जलाने पर किसानों को सजा देने को लेकर भी किसानों में रोष है। किसानों का कहना है कि नए कानून में किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत किए बिना नियम बना दिए गए हैं।