विश्व गुरु बनने की दिशा में भारत के अभियान को बढ़ावा देगा: मंत्री डॉ.हर्षवर्धन :-
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने छठें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव- 2020 (आईआईएसएफ-2020) के लिए सीएसआईआर-आईएमएमटी के पूर्वावलोकन कार्यक्रम का ई-उद्घाटन किया। इस समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान थे। इसके अलावा वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक (डीजी) एवं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे के साथ सीएसआईआर-आईएमएमटी के निदेशक प्रोफेसर सुधात्सवा बसु भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस आईआईएसएफ-2020 का विषय ‘आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक कल्याण के लिए विज्ञान’ है।
मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘आईआईएसएफ-2020 के लिए प्रस्तावित विषय- आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक कल्याण के लिए विज्ञान वर्तमान संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है। विकास को गति देने और हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को लागू करने के लिए देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ओर देख रहा है। आत्मनिर्भर भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में कई महान वैज्ञानिक खोजों और तकनीकी प्रगति ने विश्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे प्रयासों की उत्कृष्टता को प्रदर्शन किया है।
उन्होंने कहा कि खनन, खनिज और भौतिक संसाधन आर्थिक भारत के लिए महत्वपूर्ण घटक हैं। सीएसआईआर-आईएमएमटी, सीएसआईआर परिवार का एक हिस्सा है और यह खनिज और भौतिक संसाधनों के क्षेत्रों में नेतृत्व करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। इसके अलावा खनन, खनिज और धातु से संबंधित उद्योगों के अनुसंधान और विकास से जुड़ी समस्याओं के समाधान और देश के लिए उनके सतत विकास को सुनिश्चित भी करता है। सीएसआईआर-आईएमएमटी टिकाऊ अर्थव्यवस्था के लिए खनिज और भौतिक संसाधनों को समझने और उसके तकनीकी समाधानों को लेकर लगातार प्रयास कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीएसआईआर-आईएमएमटी प्राथमिक और द्वितीयक संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की पुनर्स्थापन पर काम कर रहा है। इन खनिजों में पृथ्वी के दुर्लभ तत्वों सहित टंगस्टन, लिथियम, कोबाल्ट, मैंगनीज आदि शामिल हैं। वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए उद्योगों के साथ इन तकनीकों को लागू करने पर काम कर रहे हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आईआईएसएफ विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक उत्सव है, जो हमारे समाज के विभिन्न वर्गों की जनता को इसमें शामिल करता है। इसके अलावा यह दिखाता है कि कैसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित हमें अपने जीवन में सुधार लाने के लिए समाधान प्रदान करते हैं। इसके अलावा यह हमारी वर्तमान पीढ़ी को यह भी सिखाता है कि कैसे सदियों से नई सोच, विचारों और खोजों के लिए भारत कई देशों के लिए एक प्रेरणा रहा है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, ‘2015 में शुरू किए गए आईआईएसएफ ने पिछले कुछ वर्षों में जिज्ञासा को प्रोत्साहित करने और सीखने को पुरस्कृत करने के लिए एक अनोखा मंच प्रदान किया है। यह प्रयास विश्व गुरु बनने की दिशा में भारत के अभियान को बढ़ावा देगा।’ उन्होंने समाज के सभी वर्गों की विशाल हिस्सेदारी और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने को लेकर आईआईएसएफ 2020 की जोरदार सफलता की कामना की।
केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वे ऐसे उत्पादों और सेवाओं का निर्माण करें, जो विश्व में सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धा कर सकें। किसी भी समाज के विकास में विज्ञान और नवाचार की भूमिका को रेखांकित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर यह दिखाया है कि हम लोगों को सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक ज्ञान और नवाचार से संबंधित संस्थानिक और औद्योगिक क्षमता को विकसित और मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत एक ऐसा भारत है, जो न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए उम्मीद की एक किरण है। इसके अलावा यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के अनुरूप है। प्रधान ने कहा कि आर्थिक विकास और सामाजिक लाभ के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग के बिना आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत का प्रयास संभव नहीं है।
मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग के बिना भारत को आत्मनिर्भर बनाना और आर्थिक विकास व सामाजिक लाभ नहीं लिया जा सकता हैं। वहीं एक मजबूत अनुसंधान और विकास संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से हम अत्याधुनिक उत्पादों और सेवाओं का विकास कर सकते हैं, जो वर्तमान की प्रणालियों और प्रक्रियाओं को अधिक सक्षम बनाते हैं।’ उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से भारत की समृद्ध प्राचीन विरासत की प्रथाओं में से कई के पीछे के रहस्यों को जानने और वैज्ञानिक रूप से उन्हें स्थापित करने के लिए उन्नत वैज्ञानिक अवधारणों और गणित के साथ जांच की आधुनिक वैज्ञानिक विधियों को एकीकृत करने की अपील की।