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बच्चे को इस प्रकार पढ़ाने की कोशिश करे :-

बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं होता क्योंकि वह अधिक देर तक किसी जगह पर नहीं बैठते। ऐसे में माता-पिता के लिए उन्हें पढ़ाना और होमवर्क कराना आसान नहीं होता। अक्सर लोगों की शिकायत होती है कि उनका बच्चा ठीक से पढ़ता नहीं है, कोई चीज़ सिखाओ तो जल्दी सीखता नहीं है। बच्चों को पढ़ाना भी एक कला है जिसमें संयम की जरुरत रहती है। अधिकतर आमतौर पर माँ-बाप को पता ही नहीं होता कि बच्चे को पढ़ाने का सही तरीका क्या है। उन्हें लगता है कि बच्चे को डाँट देना या मार देना ही एक विकल्प है ताकि डरकर वह पढ़ाई करने लगे, लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई यह सही तरीका है? डाँट या मार के डर से बच्चों का मन पढ़ाई से और दूर भागने लगता है। बच्चे को डराकर आप उसे अपने सामने तो पढ़ने के लिए मजबूर कर सकते हैं, लेकिन आपकी नजर हटते ही वह पढ़ाई को बोझ समझकर टाल देता है। बच्चों के साथ सख़्ती बरतना बिलकुल भी सही विकल्प नहीं है। एक बार अगर उसके मन से आपकी डाँट या मार का डर निकल गया, तो फिर वो आपकी बात मानना और इज़्ज़त करना भी छोड़ देगा।

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इसलिए पहले ये जान लें कि बच्चे को पढ़ाते वक़्त आपको क्या नहीं करना है –
बच्चे पर कभी हाथ ना उठाएँ – अगर आपको लगता है कि आपके मारने से बच्चा कुछ पढ़ लेगा, तो आप ग़लत हैं। आपके मारने से बच्चे के मन में पढ़ाई के प्रति और ज़्यादा रोष जागृत होगा। और मार के डर से जितना उसे आता है, वो भी भूल जाएगा।
बच्चे को डराएँ, धमकाएँ नहीं – कुछ माता-पिता बच्चों को डराते धमकाते हैं कि अगर पढ़ाई नहीं की तो आज खाना नहीं मिलेगा या स्टोररूम में बंद कर देंगे या फिर स्कूल से नाम कटवा देंगे। अपने मासूम बच्चे पर ये सब इमोशनल हथियार ना आज़माएँ। इसका बच्चे के कोमल मन पर बुरा असर पड़ता है।
बच्चे की बातों को अनसुना ना करें – अगर आपका बच्चा आपको कुछ बताना चाहता है या आपसे कोई प्रश्न पूछना चाहता है तो धैर्य से उसकी बात सुने। उसे सही व तार्किक जवाब दें।
बच्चे को किसी और के सामने डाँटे नहीं – बच्चे को कभी भी उसके दोस्तों या अपने रिश्तेदारों या घर में आए मेहमानो के सामने डाँटें नहीं। इससे बच्चा अपमानित महसूस करता है। परिणामस्वरूप बच्चे का मनोबल गिरता है और उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता।

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