लंदन में किसान आंदोलन के सपोर्ट में लहराया खालिस्तानी झंडा, लगे ‘मोदी सरकार हाय-हाय’ के नारे :-
लंदन में भारतीय दूतावास के सामने किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे प्रदर्शकारियों खालिस्तानी झंडा फहराया। इस दौरान मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें, प्रदर्शनकारी खालिस्तानी झंडा फहराते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं कुछ और मोदी सरकार हाय-हाय के नारे भी लगाते सुनाई दिए।
कई देशों में जारी है विरोध प्रदर्शन
भारत के किसान कानूनों के विरोध में ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसके बाद भारतीय दूतावासों ने अपने मिशन की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जताई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर रविवार को लंदन पुलिस ने भारतीय दूतावास की सुरक्षा को कड़ा कर दिया गया है। यहां स्कॉर्टलैंड यार्ड के अतिरिक्त दस्ते को तैनात किया गया है।
ब्रिटिश सांसदों ने किसान कानून का किया था विरोध
दो दिन पहले ही 36 ब्रिटिश सांसदों ने भारत के किसान कानून के विरोध में ब्रिटेन के विदेश सचिव को चिट्ठी लिखी थी। इसमें पंजाबी मूल के लेबर पार्टी के सांसदों के अलावा पाकिस्तानी और ब्रिटिश मूल के भी कई सांसद शामिल थे। इन्होंने ब्रिटिश सरकार से भारत के सामने इन तीन किसान कानूनों के खिलाफ विरोध दर्ज करवाने की मांग की गई थी। हालांकि, ब्रिटिस सरकार की ओर से इस चिट्ठी पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अमेरिका में सड़कों पर उतरे सिख समुदाय के लोग
भारतीय किसानों के समर्थन में अमेरिका के कई शहरों में सैकड़ों सिख अमेरिकियों ने शांतिपूर्वक विरोध रैलियां निकालीं। कैलिफोर्निया के विभिन्न हिस्सों के प्रदर्शनकारियों के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास की ओर बढ़ने वाली कारों के बड़े काफिले ने शनिवार को ‘बे ब्रिज’ पर यातायात बाधित कर दिया। इसके अलावा सैकड़ों प्रदर्शनकारी इंडियानापोलिस में एकत्र हुए। इससे एक दिन पहले शिकागो में सिख-अमेरिकी समुदाय के लोग एकत्र हुए और वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के सामने विरोध रैली निकाली गई।
कनाडा में भी लगातार हो रही रैलियां
कनाडा में भी किसान आंदोलन को लेकर कई रैलियां हो रही हैं। बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग टोरंटो समेत कई प्रमुख शहरों में किसान आंदोलन के समर्थन में रैली कर रहे हैं। जिसके बाद से कनाडा में भारतीय मिशन ने अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है। खालिस्तानी और पाकिस्तानी तत्वों के भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए यह मांग की गई है। भारत में कृषि कानूनों का विरोध होने के साथ ही कनाडा के ओटावा में भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इससे परिसर में रहने वाले लोगों के मन में डर बैठ गया है।
यूएन महासचिव ने भी किसान आंदोलन का किया समर्थन
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत में जारी किसानों के प्रदर्शन के विषय में कहा कि लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए। महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने शुक्रवार को यह कहा कि जहां तक भारत का सवाल है तो मैं वही कहना चाहता हूं कि जो मैंने इन मुद्दों को उठाने वाले अन्य लोगों से कहा है, … यह … कि लोगों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए।
भारत ने विदेशी दखलअंदाजी पर जताया है कड़ा एतराज
भारत ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो और ब्रिटिश सांसदों समेत कई नेताओं के बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे देश के अंदरूनी मामलों में गैरजरूरी दखल करार दिया है। विदेश मामलों के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि हमने भारत में किसानों से संबंधित कुछ ऐसी टिप्पणियों को देखा है जो भ्रामक सूचनाओं पर आधारित हैं। इस तरह की टिप्पणियां अनुचित हैं, खासकर जब वे एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित हों। बेहतर होगा कि कूटनीतिक बातचीत राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं की जाए।
कनाडा के राजदूत को तलब कर सौंपा विरोध पत्र
भारत ने शुक्रवार को कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब कर उनसे कहा कि किसानों के आंदोलन के संबंध में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां के कुछ अन्य नेताओं की टिप्पणी देश के आंतरिक मामलों में एक अस्वीकार्य हस्तक्षेप के समान है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडाई राजनयिक से यह भी कहा गया गया कि ऐसी गतिविधि अगर जारी रही तो इससे द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर क्षति पहुंचेगी।
11 दिनों से जारी है किसानों का प्रदर्शन
उल्लेखनीय है कि हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के किसान भारत सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 11 दिन से लगातार डटे हैं। सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी कानून को लेकर कोई समाधान नहीं निकल सका है। किसानों के साथ सरकार की अगली बातचीत अब 9 दिसंबर को प्रस्तावित है।