Main Slideदेशबड़ी खबर

शरद पवार ‘भारत बंद’ के अगले दिन मिलेंगे राष्ट्रपति से, बंदी के आह्वान को 12 दलों का समर्थन :-

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों की ताकत लगातार बढ़ रही है। अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार उनकी मांगों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बात करने जा रहे हैं। पार्टी ने रविवार को बताया कि केंद्र में कृषि मंत्री की भूमिका निभा चुके पवार ‘भारत बंद’ के अगले दिन यानी 9 दिसंबर को राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। वहीं, 12 विभिन्न राजनीतिक दलों ने ‘भारत बंद’ के किसानों के आह्वान को अपना समर्थन देने का फैसला किया है। इन दलों ने भारत बंद के समर्थन में बयान जारी किए हैं

sharad-pawar: Latest sharad-pawar News & Updates, sharad-pawar Photos &  Images, sharad-pawar Videos | Navbharat Times

पवार की केंद्र सरकार को नसीहत
बहरहाल, एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री पवार किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर राष्ट्रपति को देश के हालात से अवगत कराएंगे। सितंबर में संसद के मॉनसून सत्र के दौरान कृषि विधेयकों को राज्यसभा में पेश किए जाने के दौरान एनसीपी के सदस्य सदन छोड़कर चले गए थे। पवार ने रविवार को केंद्र से कहा कि अगर किसानों के साथ गतिरोध जारी रहता है तो उनका आंदोलन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग कृषकों के साथ खड़े हो जाएंगे। पवार ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सरकार को समझ आएगी और वह मुद्दे के समाधान के लिए इसका संज्ञान लेगी। यदि यह गतिरोध जारी रहता है तो प्रदर्शन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग प्रदर्शनकारी किसानों के साथ खड़े हो जाएंगे।’

भारत बंद को 12 पार्टियों और 10 ट्रेड यूनियनों का समर्थन
राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डटे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इसके प्रति कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, आप और सपा ने रविवार को अपना समर्थन जताया। इससे पहले शनिवार को तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी और वामपंथी दलों ने भी बंद का समर्थन किया था। वहीं, 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी बंद का समर्थन किया है। इनमें ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी (AIKSCC), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), हिंद मजदूर सभा (HMS), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC) जैसे यूनियनें शामिल हैं। इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 11 दिन से जारी है।

कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस काफी मुखर
कांग्रेस ने भारत बंद के समर्थन में ऐलान किया कि वह 8 दिसंबर को किसानों की मांगों के समर्थन में सभी जिला एवं राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी। दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है।” उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों और किसान रैलियों के जरिए किसानों के पक्ष में पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे हैं। खेड़ा ने कहा, “हमारे सभी जिला मुख्यालय एवं प्रदेश मुख्यालयों के कार्यकर्ता इस बंद में हिस्सा लेंगे। वे प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बंद सफल रहे।” वहीं, लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की।

टीआरएस ने कहा- जोरदार समर्थन देंगे कार्यकर्ता
उधर, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इसमें सक्रियता से शामिल होकर बंद को सफल कराएंगे। एक आधिकारिक बयान के अनुसार राव ने समर्थन को सही ठहराया है और कहा है कि किसान वैध तरीके से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी ने संसद में इन कानून से जुड़े विधेयकों का विरोध किया था क्योंकि इससे किसानों के हितों को नुकसान पहुंचता है।

तमिलनाडु के विपक्षी खेमे ने लगाया जोर
वहीं, तमिलनाडु में द्रमुक नीत विपक्षी खेमे ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग पूरी तरह से जायज है। द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने राज्य के किसान संघों, व्यवसायी संगठनों, सरकारी कर्मचारियों के संगठनों, मजदूर संघों तथा अन्य से बंद को भरपूर समर्थन देने और मंगलवार के बंद को सफल बनाने की अपील की। स्टालिन, द्रमुक के सहयोगी दलों कांग्रेस के तमिलनाडु इकाई के प्रमुख केएस अलागिरी, एमडीएमके के संस्थापक वाईको और वाम नेताओं ने बयान में कहा कि दिल्ली के बाहर किसानों का प्रदर्शन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और पूरी दुनिया की इस पर नजर है। इन दलों ने किसानों द्वारा की जा रही कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानने पर केंद्र की निंदा की।

कमल हासन, केजरीवाल और अखिलेश भी साथ
अभिनेता कमल हासन की मक्काल निधि मय्यम (MNM) ने भी किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन दिया है तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पूर्ण समर्थन का ऐलान किया। आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि देशभर में आप कार्यकर्ता राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करेंगे। उन्होंने सभी नागरिकों से किसानों का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने ट्वीट किया, “आम आदमी पार्टी 8 दिसंबर को किसानों के भारत बंद के आह्वान का पूरी तरह समर्थन करती है। देशभर में आप कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से इसका समर्थन करेंगे। सभी देशवासियों से अपील है कि सभी को किसानों का समर्थन करना चाहिए और इसमें भाग लेना चाहिए।” आप नेता और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सभी कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में बंद में भाग लेंगे। राय ने एक वीडियो संदेश में कहा, “यह केवल किसानों की नहीं बल्कि सभी देशवासियों की लड़ाई है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और यदि किसान अप्रसन्न हैं तो देश पर भी इसका असर पड़ता है। मैं सभी से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील करता हूं।”

टीएमसी और वामपंथी दल भी एक पेज पर
उधर, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को घोषणा की थी कि वो भारत बंद को अपना नैतिक समर्थन देगी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा था कि बंगाल में अपने विरोध कार्यक्रमों के दौरान उनकी पार्टी कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग करेगी। पार्टी की मांग है कि सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद नए विधेयकों को संसद की स्थायी समिति या प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए। वहीं, वामपंथी दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) (CPI-ML), रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) ने एक संयुक्त बयान में बंद को समर्थन की घोषणा की थी। उधर, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने शनिवार को पटना में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

सरकार के दावे और किसानों का आशंकाएं
ध्यान रहे कि सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए 9 दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद कहा था कि सरकार कृषक नेताओं से उनकी प्रमुख चिंताओं पर ठोस सुझाव चाहती थी। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि उनके सहयोग से समाधान निकाला जाएगा। बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेजने की अपील की थी। सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार करार दिया है। वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे।

Related Articles

Back to top button