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योगी सरकार के मिशन रोज़गार को अखिलेश यादव ने बनाया चुनावी एजेंडा

बिहार की तरह ही यूपी चुनाव में भी रोज़गार बड़ा मुद्दा हो सकता है. पंद्रह महीनों बाद राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं. उससे पहले योगी सरकार रोज़गार को लेकर माहौल ठीक कर लेना चाहती है. कोरोना और लॉकडाउन के कारण लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं. टूरिज़्म, ट्रैवल से लेकर कई तरह के कारोबार चौपट हो चुके हैं.

लॉकडाउन के दौरान बाहर से आए हज़ारों लोग अब भी वापस नहीं गए हैं. ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोज़गार मुहैया कराने की है. ख़ास तौर से नौजवानों को सरकारी नौकरी देने की. कोरोना के चलते यूपी सरकार का राजस्व भी घट गया है. ऊपर से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अभी से रोज़गार के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने में जुट गई हैं.

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज नलकूप चालकों को नियुक्ति पत्र बांटे. इस बार 3209 ट्यूबवेल ऑपरेटरों को नौकरी मिली. मिशन शक्ति अभियान में पहली बार 516 महिलाओं को भी नौकरी दी गई है. इस भर्ती के बाद अब यूपी में ट्यूबवेल ऑपरेटरों की संख्या 34 हज़ार हो गई है. पहली बार यूपी सरकार ने आईटीआई पास लोगों को इस कोटे से नौकरी दी है. शुरुआत में एक नलकूप चालक को कम से कम तीस हज़ार रूपये हर महीने मिलते हैं. सरकारी ट्यूबवेल से खेतों में सिंचाई होती है.

योगी सरकार का दावा है कि पिछले चार सालों में रिकार्ड चार लाख सरकारी नौकरियां दी गई हैं. यूपी पुलिस में एक लाख 37 हज़ार भर्तियां हुई हैं. बेसिक शिक्षा विभाग में क़रीब 86 हज़ार नौकरियां दी गई हैं. इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में भी 28 हज़ार से अधिक भर्तियां हुई हैं. सरकार ने आज चार लाख सरकारी नौकरियों का ब्यौरा जारी किया है.

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