कोरोनावायरस पर चीन अपने वचनों का पालन कर रहा है :-
संयुक्त अरब अमीरात की मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक उस देश के स्वास्थ्य और रोकथाम मंत्रालय ने 9 दिसंबर को चीनी कंपनी द्वारा विकसित कोरोनावायरस के टीके को औपचारिक रूप से पंजीकृत करने की घोषणा की।
इससे कुछ दिन पहले चीन से आए दूसरी खेप के 10 लाख टीके ब्राजील पहुंचे हैं। चीन से आए 12 लाख टीके इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता पहुंचे हैं।
कुछ समय पहले आयोजित जी20 के शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वचन दिया कि चीन अन्य विकासमान देशों को मदद और समर्थन देगा, ताकि टीके विभिन्न देशों की जनता के लिए एक सार्वजनिक उत्पाद बन सके। चीन का यह इरादा साकार किया जा रहा है।
हाल में चीन में अनेक किस्मों के टीके तीसरे चरण के परीक्षण में प्रवेश कर चुके हैं। चीन के पास पर्याप्त उत्पादन और आपूर्ति क्षमता है।
इसके बावजूद चीन कोविड-19 के टीके की कार्रवाई योजना में भी शामिल हुआ, जिसका मकसद टीके का न्यायपूर्ण वितरण को आगे बढ़ाना और विकासमान देशों को टीके प्रदान करना है।
लेकिन कुछ पश्चिमी राजनेता टीके के विकास में चीन की प्रगति को नहीं देखना चाहते और मनमाने ढंग से चीन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने अफवाह फैलाई कि चीन ने टीके को भूराजनीति का माध्यम बनाया है और पश्चिमी देशों के टीके की विकास तकनीक की चोरी की।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चीनी टीके को बदनाम करने का मकसद राजनीतिक प्रेरणा के साथ वाणिज्य लाभ भी है। पश्चिमी देश चाहते हैं कि उनके टीके बाजारों में और बड़े शेयर हासिल कर सकें।
हाल में विश्व में कोविड-19 के पुष्ट मामलों की संख्या 684.8 लाख तक जा पहुंची। हालांकि मानव जाति महामारी को पराजित करने की आशा को टीकों पर नहीं बांधना चाहिए, फिर भी यथाशीघ्र ही टीके लगाना अनेक देशों की फौरी आवश्यक्ता है।