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किसान आंदोलन : सरकार और किसान आमने सामने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे किसान की सुनवाई की मांग

केंद्र द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अभी भी किसान और सरकार आमने सामने हैं. एक ओर जहां किसान इस बात को लेकर अडिग हैं कि सरकार समूचा कानून ही वापस ले तो वहीं सरकार का कहना है कि कानून वापस नहीं ले सकते लेकिन संशोधन जरूर करेंगे. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी फिर वार्ता जारी रहने की बात को दोहराया है.

इस बीच भारतीय किसान यूनियन ने तीनों विवादित कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. एक याचिका दायर कर भाकियू ने तीनों कृषि बिलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि कृषि कानून से जुड़ी पुरानी याचिकाओं पर सुनवाई हो. याचिका में दावा किया है कि नए कृषि कानून इस क्षेत्र को निजीकरण की ओर ढकेल देंगे.

वहीं किसानों ने गुरुवार को कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे रेल पटरियां अवरुद्ध कर देंगे और इसे लेकर जल्द ही तारीख का ऐलान करेंगे. सिंघू बॉर्डर पर मीडिया से बातचीत में किसान संघों ने कहा कि वे विरोध-प्रदर्शन को तेज करेंगे

राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले सभी राजमार्गों को जाम करना शुरू करेंगे. गौरतलब है कि दिल्ली में प्रवेश से रोके जाने के बाद पिछले करीब दो सप्ताह से किसान सिंघू बॉर्डर पर धरना दिए हुए हैं.

बॉर्डर पर किसान नेता बूटा सिंह ने कहा अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम रेल पटरियां अवरुद्ध करेंगे. हम इसकी तारीख तय कर जल्दी घोषणा करेंगे. एक अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा केन्द्र ने स्वीकार किया है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं.

अगर कृषि राज्य का विषय है तो, केन्द्र को उसपर कानून बनाने का अधिकार नहीं है हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर प्रदर्शन करते हुए नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं.

दूसरी ओर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को आंदोलन छोड़ वार्ता का रास्ता अख्तियार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के किसी भी मुद्दे पर यदि किसानों को आपत्ति है तो सरकार उस पर ‘खुले मन’ से चर्चा को तैयार है.

तोमर ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ यह भी कहा कि वार्ता की प्रक्रिया के बीच में किसानों द्वारा अगले चरण के आंदोलन की घोषणा करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता के लिए पूरी तरह तत्पर है. उन्होंने उम्मीद जताई कि वार्ता के जरिए ही कोई रास्ता निकलेगा.

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