बिहार में शराबबंदी का कानून लागू है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे लेकर गंभीरता जताते रहे हैं। लेकिन राज्य में करीब 15 फीसद लोग आज भी शराब पी रहे हैं। यहां तक कि नाबालिग भी शराब पी रहे हैं। यह विपक्ष का आरोप नहीं, केंद्र सरकार का खुलासा है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS-5) के पहले फेज की साल 2019-20 की रिपोर्ट तो यही कहती है। राज्य के 48 फीसद पुरुष तो 5 फीसद महिलाएं तंबाकू का सेवन करतीं हैं। देश के 22 प्रदेशों में 35834 घरों के सर्वे के आधार पर बनाई गई इस रिपोर्ट में तैयार में बिहार के विकास को दर्शातीं बेहतर आंकड़े भी शामिल हैं।
शहरों में 14 फीसद तो गांवों में 15.8 फीसद लोग पी रहे शराब
एनएफएसएस की रिपोर्ट बताती है कि बिहार के शहरों में 14 फीसद तो गांवों में 15.8 फीसद लोग शराब पी रहे हैं। पूरे राज्य के औसत की बात करें तो यहां करीब 15 फीसद लोग आज भी शराब पी रहे हैं। आंकड़ो पर भरोसा करें तो शहरी इलाकों की अपेक्षा गांवों में शराब अधिक पी जा रही है। इसका कारण शहरी इलाकों में अधिक जागरूकता व पुलिस सक्रियता को जाता है। सुदूर ग्रामीण इलाकों में पुलिस सक्रियता की कमी होती है। इसका असर शराबबंदी कानून के पालन पर भी पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार नाबालिग भी शराब पी रहे हैं।
0.5 फीसद शहरी महिलाएं पीतीं शराब, बिहार भी नहीं पीछे
आंकड़ों के अनुसार देश में महिलाएं भी शराब का खूब सेवन कर रहीं हैं। शहरों में 0.5 फीसद तो गांवों में 0.4 फीसद महिलाएं शराब पीती हैं। बिहार सहित शराबबंदी वाले राज्यों में भी यह चौंकाने वाला है।
बिहार में लगभग हर दूसरा आदमी कर रहा तंबाकू का सेवन
बिहार में लगभग हर दूसरा आदमी तंबाकू का सेवन कर रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में 15 साल से अधिक आयु के करीब 50.7 फीसद लोग तंबाकू का किसी ना किसी रूप में सेवन करते हैं। शहरों में यह तादाद 40.3 फीसद है। कुल मिलाकर तंबाकू सेवन करने वाले पुरुषों का आंकड़ा 48.8 फीसद आता है।
महिलाएं भी तंबाकू-शराब का करती हैं सेवन
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं जिनकी आयु 15 वर्ष से अधिक है वे भी तंबाकू का सेवन करने में पीछे नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी में से तकरीबन 5.3 फीसद महिलाएं किसी ना किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैें तो शहरों में 3.6 फीसद महिलाएं ऐसा कर रही हैं। हालांकि शराब के सेवन में महिलाएं पीछे हैं। सर्वे के आंकड़ों की मानें तो ग्रामीण क्षेत्रों में 15 से अधिक आयु की 0.4 फीसद और शहरी क्षेत्र में 0.5 प्रतिशत महिलाएं शराब का सेवन करती हैं।
महिलाएं भी घरों के फैसलों में बन रही भागीदार
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि क्षेत्र ग्रामीण हो या फिर शहरी, महिलाएं अब घरों के फैसले लेने में सहभागी बन रही हैं। सर्वे के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 87 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 84 फीसद शादी-शुदा महिलाएं घर में फैसले लेने में मददगार बन रही हैं।
40.8 फीसद महिलाओं की शादी 18 से कम आयु में
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर अब भी तकरीबन 40.8 फीसद बच्चियों की शादी 18 से कम आयु में कर दी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में 43.4 फीसद और शहरी क्षेत्र में 27.9 फीसद महिलाओं का विवाह 18 से कम आयु में किया गया। यह सर्वे 20-24 आयु वर्ग की महिलाओं के बीच किए गए।
नवजात शिशु मृत्युदर में कमी आई
एनएफएचएस-5 के सर्वे आंकड़ों की मानें तो बिहार में पूर्व की अपेक्षा नवजात शिशु मृत्युदर में कमी आई है। 2015-16 में नवजात मृत्युदर 36.7 फीसद थी जो 2019-20 में घटकर 34.5 फीसद हो गई है। शहरी क्षेत्र में जहां यह मृत्युदर 29.5 फीसद है तो ग्रामीण क्षेत्रों में थोड़ी अधिक 35.2 फीसद के करीब है।
11 फीसद महिलाएं 19 वर्ष से पहले बनीं मां
सर्वे के आंकड़ों की मानें तो बिहार में 11 फीसद महिलाएं ऐसी हैं जो 15 से 19 वर्ष के बीच मां बनी। इसमें 11.6 फीसद ग्रामीण जबकि 7.4 फीसद शहरी महिलाएं शामिल हैं। हालांकि 2015-16 की अपेक्षा इसमें 1.2 फीसद की कमी आई है।
परिवार नियोजन का असर, प्रजनन दर में आई कमी
बिहार में परिवार नियोजन का असर भी सर्वे रिपोर्ट में देखने को मिला है। सर्वे के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 की अपेक्षा 2019-20 में प्रजनन दर में कमी दर्ज की गई है। 2015-16 में जहां प्रजनन दर प्रति महिला 3.4 थी वह 2019-20 में घटकर ग्रामीण क्षेत्रों में 3.1 तो शहरी क्षेत्र में 2.4 हो गई।
ग्रामीण से ज्यादा शहरी क्षेत्रों प्रताड़ना की शिकार पत्नियां
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे- 5 के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में 18-49 आयु वर्ग की 40 फीसद महिलाएं पतियों की प्रताडऩा का शिकार हुई हैं। हालांकि 2015-16 में ऐसे मामलों की संख्या 43.7 फीसद के करीब थी। सर्वे के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 18-49 आयु वर्ग की 39.9 फीसद तो शहरी क्षेत्र में 40.6 फीसद महिलाएं पतियों की प्रताड़ना का शिकार हुईं हैं।