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सैनिकों को पहना रहा फौलादी सूट : चीन

बीते 8 महीनों से लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन ने अपने सैनिक और हथियार रख छोड़े हैं. भारत से सीमा विवाद के बीच चीन अपने सैनिकों को ज्यादा मजबूत कर रहा है. इसी सिलसिले में उसने उन्हें एक खास तरह का सूट दिया है, जिससे सैनिकों का शरीर फौलादी रहेगा. इसे आयरन मैन या एग्जोस्केलटन सूट कहा जा रहा है.

चीन लद्दाख पार डटे रहने की सारी तैयारी कर चुका. इस बीच पीपल्स लिबरेशन आर्मी अपने सैनिकों को आयरन-मैन बना चुका. इस तरह की खबरें आ रही हैं कि ये खास तरह का सूट है जो ठंड इलाकों में सैनिकों को बचाए रखेगा और वे मिशन को अंजाम दे सकेंगे.

जिन सैनिकों को यह सूट सबसे पहले दिया गया है वे दक्षिण-पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में में स्थित नागरी में तैनात हैं. अपनी इस पहल से चीन अमेरिका और रूस की कतार में आ चुका है. बता दें कि एग्जोस्केलटन सूट इलेक्ट्रिक मोटर, न्यूमेटिक्स, हाइड्रोलिक और कई तरह की तकनीक से बनता है. इससे अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी या मौसम की वार से बचकर सैनिक अपने मिशन को ज्यादा बढ़िया ढंग से अंजाम दे सकते हैं.

ग्लोबल टाइम्स के दावे के मुताबिक हाल ही में सैनिकों ने इस सूट के साथ लगभग 20 किलो वजन लेकर लंबी दूरी आसानी से तय की थी. एग्जोस्केलटन सूट पहनने पर भार पैर या कंधों पर पड़ने की बजाए पूरे शरीर में बंट जाता है, जिससे संतुलन बना रहता है. इसके अलावा एक दूसरी तरह का सूट भी है, जिसमें बैटरी-जन्य बिजली लगती है. इसे पहनने पर सैनिक लगभग 80 किलो वजन उठा सकते हैं.

इसपर लगभग 80 मिलियन डॉलर रिसर्च में लगाए गए. उम्मीद थी कि पांच सालों के भीतर ऐसा पावर सूट तैयार हो जाएगा. लेकिन ऐसा हो नहीं सका और साल 2019 में इस प्रोग्राम को फेल मानते हुए इसे बंद कर दिया गया. ये और बात है कि अब भी अमेरिकी मिलिट्री विशेषज्ञ मानते हैं कि रिसर्च के दौरान आई जानकारियां कई दूसरे अहम काम कर सकेंगी.

पावर सूट बनाने की असल चुनौती उसका मटेरियल चुनना था, जो टिकाऊ भी हो और सैनिकों को पहनने में भारी भी न लगे. अमेरिकी सेना ने इसे बनाने में बैटरी सिस्टम का इस्तेमाल किया था लेकिन वो भारी भी था और कुछ घंटों में बेकार हो जाता था. रूसी विशेषज्ञों ने यही देखते हुए नए तरीके से सूट बनाए. इसे EO-1 नाम दिया गया

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