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बिहार में शराबबंदी कानून पर राजनितिक दलों में मतभेद, जानें पूरा मामला

कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा ने शराबबंदी कानून खत्म करने की मांग क्या की, राजनीतिक दलों के बीच बिहार में पूर्ण शराबबंदी (total ban on liquor) को लेकर भयंकर बहस छिड़ गई है। भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) ने इसका समर्थन किया तो राजद (RJD) सहित महागठबंधन (Grand Alliance)  में शामिल वाम दलों ने भी कानून की आलोचना की। यह देखना दिलचस्‍प है कि कांग्रेस में ही शराबबंदी को लेकर मतभेद उभर कर सामने आ गया है।

ऊंची कीमत पर शराब बेचने की नसीहत

बहस की शुरुआत अजित शर्मा की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी से हुई। तीन दिन पहले शर्मा ने कहा कि शराबबंदी पूरी तरह फेल है। नकली शराब से लोगों की सेहत खराब हो रही है। दूसरी तरफ शराब की तस्करी ने नई अर्थव्यवस्था भी बन रही है। शर्मा ने स्वीकार किया कि 2016 में जब राज्य में शराबबंदी लागू हुई, कांग्रेस उस सरकार में शामिल थी। कांग्रेस ने समर्थन किया था। लेकिन, चार साल बाद लगता है कि यह कानून अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ। उन्होंने दो सुझाव भी दिए-शराब की अधिक कीमत वसूली जाए और उससे हासिल धन को विकास योजनाओं पर खर्च किया जाए। वाम दलों ने आंशिक तौर पर ही शर्मा की सलाह का समर्थन किया।

कांग्रेस में शराबबंदी पर मतभेद

कांग्रेस के विधायक शकील अहमद ने विधायक दल के नेता अजीत शर्मा के शराबबंदी हटाने की मांग को अनुचित ठहराया है। उन्‍होंने कहा है कि यह पार्टी की राय नहीं है, उनकी व्‍यक्तिगत राय हो सकती है। शराबबंदी कानून सबकी सहमति से लागू हुआ था। कांग्रेस भी उस वक्‍त महागठबंधन की नीतीश सरकार में शामिल थी। कानून को सख्‍ती से लागू करने की मांग हो सकती है, मगर कानून खत्‍म करने की मांग जायज नहीं है।

कानून का समर्थन , मगर गरीबों को मिले रियायत

पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कानून का समर्थन तो करते हैं, लेकिन इसकी चपेट में आने वाले गरीबों के लिए रियायत की उम्मीद भी रखते हैं।  उन्‍होंने कहा कि शराबबंदी कानून को लागू कराने वाले नेताओं को बताना चाहिए कि किन शराब माफियाओं के कहने पर आज इस कानून का विरोध कर रहे हैं। शराबबंदी नीतीश कुमार का सबसे बेहतर फैसला है। हां, सरकार उन गरीबों को जेल से रिहा करे, जो शराबबंदी कानून की छोटी सी गलती के कारण तीन महीने से जेल में बंद हैं। जिसके कारण उनका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है।

गांधी जी की आत्‍मा को कष्‍ट

पूर्व मंत्री एवं जदयू के प्रवक्‍ता नीरज कुमार ने कहा कि शराबबंदी के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम से महात्मा गांधी की आत्मा को कष्ट पहुंची होगी। कानून का विरोध करने वालों को जनता के बीच जाकर शराब पीने के फायदे के बारे में बताना चाहिए। राज्य सरकार अपने निर्णय पर सख्ती से अमल कर रही है। अब तो शराब के कारोबार को रोकने में चौकीदार तक को लगा दिया गया है।

विकास विरोधी है कांग्रेस

भाजपा प्रवक्‍ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा है कि कांग्रेस के नेता गांवों में जाकर शराबबंदी के असर को देखें। गरीब महिलाओं और बच्चों की खुशहाली देखने के बाद उन्हें समझ में आ जाएगा कि इस कानून से राज्य का कितना भला हुआ है। असल में कांग्रेस विकास विरोधी है। इस मामले में भी उसका यही चेहरा सामने आ रहा है।

सरकार की शह पर तस्करी

राजद प्रवक्‍ता भी बयानबाजी में कैसे पीछे रहते। राजद के मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि राजद शराबबंदी के पक्ष में है। लेकिन, इसका लक्ष्य भटक गया है। शराबबंदी ने सरकार की शह पर नए कारोबार को जन्म दिया है। इस कानून का लाभ सिर्फ तस्करों, पुलिस अधिकारियों और सत्ता से जुड़े कुछ नेताओं को मिल रहा है। सरकार जल्द से जल्द इस कानून की समीक्षा करे। इसके व्यवहारिक पक्ष को देखे।

सरकार पूरी तरह फेल:भाकपा माले

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि हमारी पार्टी पूर्ण शराबबंदी के पक्ष में रही है। शराबबंदी को लागू करने में सरकार पूरी तरह से फेल है। शराब माफिया जेल नहीं जा रहे हैं। शराब पीने वाले निर्दोष लोगों को शराबबंदी के नाम पर पुलिस परेशान करती है और जेल जरूर भेजती है।

हर जगह बिक रही शराब: माकपा

माकपा के राज्‍य सचिव अवधेश कुमार ने कहा कि आज प्रदेश भर में शराब बिक रही है। यह पहले की तुलना में महंगी है। शराब माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। पुलिस शराबबंदी के नाम पर उगाही कर रही है। सरकार को शराबबंदी को सख्ती से लागू करें।

महाराष्ट्र से अधिक खपत: भाकपा

माकपा के राज्य सचिव मंडल के सदस्य रामबाबू कुमार का कहना है कि हमारी पार्टी इसके पक्ष में है। शराबबंदी का कोई फायदा नहीं हो रहा है बल्कि माफियाओं का कारोबार चमक रहा है। सच्चाई यह है कि शराबबंदी के बाद पुलिस और शराब माफियाओं की मिलीभगत से इसकी बिक्री महाराष्ट्र जैसे राज्य से ज्यादा हो रही है।

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