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कानपूर : कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए लोगो में दिखा खौफ तो मेडिकल कॉलेज में बढ़ी मरीजों की संख्या

कोरोना का असर भले ही धीरे-धीरे कम हो रहा हो, लेकिन इस बीच इस महामारी का डर लोगों के दिलोदिमाग में इस कदर भर गया है कि वे अब मनोरोगी हो गए है. यही वजह है कि कानपुर में मनोरोग विभाग में अचानक से रोगियों की संख्या में तेज़ी से इजाफा हुआ है.

लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद भी दिमाग मे डर इस तरह से बैठ गया है कि लोग ओसीडी का शिकार हो रहे हैं. लोगों को बार-बार हाथ धोने, हर चीज को सेनेटाइज करने की ज्यादा लत, जरूरत से ज्यादा इसको लेकर सोचने की वजह से काफी समस्याएं आ रही हैं. जिसको लेकर कानपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने इसका अलग से इलाज करना शुरू कर दिया है.

कानपुर में भी कोरोना का ग्राफ गिरता जा रहा है. वहीं वैक्सीनेशन की तैयारियों के बीच कोरोना से निजात की सम्भावना भी बढ़ती जा रही है. इस बीच अचानक से मनोरोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है. कोरोना की वजह से लम्बे समय तक पाबंदियां, रूटीन में बदलाव और कारोबार में पड़ा असर लोगों को मनोरोगी बना रहा है.

मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ शहर के तमाम मनोचिकित्सक के पास अचानक से रोगियों की संख्या बढ़ी है. कुछ दिनचर्या में बदलाव की वजह से बीमार हुए हैं तो कई चिंता की वजह से मनोरोगी हो रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आरबी कमल ने बताया कि इस बीच तेज़ी से मानसिक रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इन रोगियों में बार-बार हाथ धोने, थोड़ी-थोड़ी देर में सेनेटाइज करने, हर चीज को सेनेटाइज करने जैसे सिम्प्टम देखने को मिल रहे है. उनका कहना है पिछले कई महीनों से कोरोना को लेकर लोग कुछ ज्यादा सोच रहे है. हर वक्त कोरोना को लेकर दिमाग में डर रहता है.

जिसके चलते इस तरह की मानसिक बीमारी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. डॉक्टर आरबी कमल ने बताया कि इसको ठीक करने के लिए मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में टीवी लगवाई गयी है. जिससे कि जो लोग भर्ती है उनका मन थोड़ा डाइवर्ट हो और वो कोरोना को लेकर ज्यादा सोचे नहीं। मनोरोग विभाग में डॉक्टर लगातार ऐसे मरीजों की काउंसलिंग कर रहे हैं और उनका ट्रीटमेंट कर रहे है.

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