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उत्तर प्रदेश : बलिया का नाम हुआ पहली बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज जाने क्या है मामला ?

बलिया जिले के रसड़ा तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव की रहने वाली नेहा सिंह ने श्रीमद भगवदगीता पर आधारित मोक्ष का वृक्ष पेंटिंग तैयार कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. नेहा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक विज्ञान में अध्ययनरत है.

बलिया के जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने रविवार को नेहा के गांव में आयोजित एक समारोह में उसे सम्मानित किया तथा उसकी बेहतरीन कलाकृतियों को देखकर उसकी हौसला अफजाई की. नेहा सोलह लाख मोतियों से भारत का नक्शा और उंगलियों के निशान से हनुमान चालीसा भी लिख चुकी है. नेहा अब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर एक नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में हैं.

दरअसल नेहा पिछले साल से तैयारी में थी, लॉकडाउन में अप्रैल महीने से घर बैठकर खनिज रंगों से बनाया सबसे बड़ा पेंटिंग बनाया. जिसका साइज 62.72 स्कॉयर मीटर यानि 675.36 स्कॉयर फीट है. पेंटिंग जुलाई महीने में ही गिनीज के नियमों के अनुसार तैयार करके ऑनलाइन से सारा डाक्यूमेंट्स जमा कर चुकी थी. मगर कोविड के चलते गिनीज से जवाब आने में चार महीने का समय लग गया.

पहले यह रिकॉर्ड भारत के ही आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की रहने वाली श्रेया तातिनेनी के नाम दर्ज था. जिन्होंने 29 सितंबर 2019 को 54.67 स्कॉयर मीटर यानी 588.56 स्कॉयर फ़ीट में खनिज रंगों से पेंटिंग बनाई थी. उसी समय से इसी रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए नेहा सिंह ने एप्लीकेशन डाला हुआ था. मगर गिनीज़ रिकॉर्ड से अनुमति मिलते एवं तैयारियां करते करते साल भर का समय लग गया.

पहली बार 'गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ बलिया का नाम

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र के पहले सत्र की छात्रा सुश्री नेहा सिंह को वैदिक साहित्य में अधिक रुचि होने के कारण ललित कला में स्नातकोत्तर है. आजकल के भागदौड़ एवं मोह-माया से दूर नेहा वैदिक विज्ञान, उपनिषद, भगवद्गीता, भारतीय संस्कृति आदि विषयों में निरंतर शोध एवं अध्ययन में लगी रहती है. वहींआम जन को देखने के लिए नेहा सिंह ने पेंटिंग को अपने गांव रसड़ा के बाहर लगाया है.

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