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राजधानी लखनऊ में कोरोना की वजहा से प्री स्कूलों की हालत हुई खराब

नन्हें-मुन्ने बच्चों को अपना कदमों पर चलने की हुनर सिखाने वाले शहर के प्री स्कूल अब लड़खड़ाने लगे हैं। बीते मार्च यानी करीब 9 महीने से यह स्कूल बंद हैं। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 60 प्रतिशत प्री स्कूल या तो बंद हो गए हैं या बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

यहां काम करने वाले हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की नौकरियां तक चली गई हैं। जैसे तैसे ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर अस्तित्व के लिए संघर्ष हो रहा है।

बता दें, राजधानी में प्री-स्कूलों की संख्या दो हजार से भी ज्यादा है। ज्यादातर प्री स्कूल घरों में या किराये की परिसरों में संचालित हैं। यहां आमतौर पर दो से चार और अधिकतम छह साल तक के बच्चे पढ़ते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, यहां करीब 30 से 35 हजार बच्चे पढ़ते हैं। करीब 5500 शिक्षक और कर्मचारी काम करते हैं।

कोरोना संक्रमण के चलते बीते 15 मार्च के आसपास ज्यादातर स्कूल बंद कर दिए गए थे। तभी से यह बंद हैं। इसका नतीजा है कि ज्यादातर स्कूलों संचालिकों ने हाथ ही खड़े कर दिए हैं। कई स्कूल बंद हो गए हैं।

लखनऊ प्री-स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप अग्रवाल ने बताया कि ज्यादातर प्री-स्कूल किराये की जगहों पर चल रहे हैं। उनके खर्चे और भी ज्यादा हैं। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बाद सभी ने ऑनलाइन क्लासेज तो शुरू कर दी लेकिन, बच्चों को रोकना मुश्किल हो गया। ज्यादातर स्कूल खाली हो गए हैं। खर्च सभी अपनी जगहों पर हैं। ऐसे में हालात संभालना कठिन हो रहा है।

एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी तुषार चेतावानी का कहना है कि चूंकि, प्री स्कूल छोटे बच्चों के हिसाब से तैयार किए जाते हैं। ऐसे में यह प्रोटोकॉल को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता है। संगठन की ओर से कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के साथ प्री स्कूलों को बचाने के लिए सरकार ने रास्ता तलाशने की गुहार लगाई है। इस संबंध में संगठन की ओर से जिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा गया है।

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