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शादी और धर्म परिवर्तन को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट का ये अहम फैसला

शादी और धर्म परिवर्तन को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई वयस्क महिला अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन का फैसला करती है और फिर पिता के घर में नहीं आती है तो फिर इसमें दखलंदाजी की कोई जरूरत नहीं है.

लाइव लॉ की वेबसाइट के मुताबिक हाईकोर्ट ने ये बातें सोमवार को एक केस की सुनवाई के दौरान कही. हाईकोर्ट की इस बेंच में न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और अरिजीत बनर्जी थे. ये बेंच एक पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिनका कहना था कि उनकी बेटी सितंबर 2020 से गायब है और उसने शादी करके धर्म परिवर्तन कर लिया है.

7 दिसंबर 2020 को बंगाल के मुरुतिया पुलिस स्टेशन में एक रिपोर्ट दर्ज करवाई गई. इसमें एक पिता ने कहा कि उनकी बेटी 19 साल की है उसने भाग कर असमूल शेख नाम के एक शख्स से शादी कर ली. कोर्ट में उनकी बेटी पल्लवी सरकार का एक बयान भी दिखाया गया.

16 सितंबर 2020 को दर्ज किए गए इस बयान में उनकी बेटी ने कहा कि असमूल के साथ उनके रिश्ते थे और वो खुद अपनी मर्जी से उनके साथ रह रही है. पल्लवी के पिता ने हाईकोर्ट में कहा कि जिस दिन उनकी बेटी का बयान दर्ज किया गया उस दिन उन्हें उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई. उनकी बेटी ने अपना नाम बदल कर आयशा खातुन रख लिया है.

अब हाईकोर्ट ने कहा कि लड़का और लड़की दोनों 23 दिसंबर को जज के सामने बयान दें. जिससे ये पता लगाया जा सके कि क्या वाकई लड़की दबाव में बयान दे रही है. जज ने ये भी कहा है कि जब ये एक साथ आएंगे तो इनके रूम में कोई और नहीं होगा.

बता दें कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने तथाकथित ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को रोकने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी. इसके तहत विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

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