LIVE TVMain Slideखबर 50देश

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती आज जाने कुछ खास बाते। …..

भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती है. वह तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. हालांकि उनके पहले दो कार्यकाल काफी छोटे रहे, मात्र तेरह दिन और तेरह महीने लेकिन तीसरा कार्यकाल बतौर मुख्यमंत्री पांच साल रहा.

अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे राजनेता थे जो हमेशा अपनी ही पार्टी के नहीं बल्कि दूसरे दलों के भी पसंदीदा रहे. उनका संपूर्ण व्यक्तित्व भारत के राजनीतिक इतिहास में एक शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. पीएम मोदी ने भी पूर्व प्रधामंत्री अटल बिहारी की जयंती पर उन्हें नमन किया.

पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन. अपने दूरदर्शी नेतृत्व में उन्होंने देश को विकास की अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंचाया. एक सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए उनके प्रयासों को सदैव स्मरण किया जाएगा. पीएम मोदी आज अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर देश भर के किसानों को संबोधित भी करेंगे.

बता दें कि अटल विहारी वाजपेयी बेहद कुशल वक्ता, कवि पत्रकार और राजनेता था. सदन में जब वह भाषण देते थे तो हर कोई उनका कायल हो जाता था. तमाम मुश्किलों को पार कर उन्होंने 90 के दशक में भारतीय जनता पार्टी को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी. उनका व्यक्तित्व इतना कमाल का था कि उस समय नए दल भी बीजेपी का दामन थामते चले गए.

देश के महान नेता और लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था.

1951 में अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में एंट्री की थी. साल 1955 में पहली बार उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 1957 में वह सांसद बने. वह कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे. राज्यसभा में भी 1962 और 1966 में सांसद रहे. उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने यूपी, नई दिल्ली और मध्यप्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी.

कहा जाता है कि ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में अटल बिहारी वाजपेयी की एक महिला मित्र थी. उनका नाम राजकुमारी कौल था. कॉलेज की पढ़ाई के बाद वाजपेयी राजनीति में आ गए. वहीं कौल के पिता ने उनकी शादी प्रोफेसर ब्रिज नारायण कौल से कर दी. 2014 में राजकुमारी कौल की मौत हो गई. कहा जाता है कि कौल अपने आखिरी समय तक वाजपेयी के साथ अपनी दोस्ती निभायी.

Related Articles

Back to top button