उत्तराखंडप्रदेश

उत्तराखंड के जंगलों में लग रही आग से ठण्ड में भी हमलावर हो रहे जानवर

उत्तराखंड के 71 फीसदी भू-भाग पर फैले जंगलों में पहली बार नवंबर-दिसंबर की जमा देने वाली ठंड के बावजूद आग की घटनाओं ने वन्यजीवों को चिड़चिड़ा बना दिया है। खासकर जाड़ों में शांत रहने वाले गुलदार, भालू और सूअर आग से बचने के लिए जंगल छोड़कर आबादी में घुसकर हमलावर बन रहे हैं। बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पावत और पिथौरागढ़ में गुलदार, सूअर और भालुओं ने नवंबर से अब तक 18 लोगों पर हमला किया है। इसमें तीन महिलाओं की मौत से विशेषज्ञ भी जीवों के बर्ताव को लेकर चिंतित हैं।

15 फरवरी से 15 जून तक वन विभाग का फायर सीजन होता है। विभाग इसकी तैयारियों में जनवरी से ही जुट जाता है। मगर इस बार ठंड शुरू होने से पहले ही जंगल आग की भेंट चढ़ने लगे। ऐसे में वन विभाग को एक ही साल में दो बार फायर सीजन घोषित करना पड़ा। अक्तूबर और नवंबर से अब तक पहाड़ के जंगल धधक रहे हैं। अफसरों की मानें तो तीन माह में 222 बार आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे 311.57 हेक्टेयर में फैला जंगल जल गया, जिसमें 5600 पेड़ राख हो गए। एक करोड़ रुपये के आस-पास नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि जाड़ों में वन्यजीवों का जंगलों में मूवमेंट घट जाता है। जानवर सीमित जगहों पर रहकर शिकार की व्यवस्था करता है। मगर जंगल में आग लगने से जंगली जानवर अब हमलावर हो रहे हैं।

जिलेवार आग की घटनाएं

पौड़ी गढ़वाल -61
उत्तरकाशी    -56
अल्मोड़ा    -37
बागेश्वर  -27
पिथौरागढ़  -18
देहरादून    -10
रुद्रप्रयाग  -06
चम्पावत   -04

गुलदारों ने सर्वाधिक हमला कर तीन को मारा

रामनगर वन विभाग के अनुसार बागेश्वर में नवंबर से अब तक जंगली सूअरों ने छह लोगों पर हमला किया। अल्मोड़ा में चार लोगों पर गुलदार ने हमला किया। चम्पावत में एक और पिथौरागढ़ में दो महिलाओं को गुलदार ने निवाला बनाया। पिथौरागढ़ में गुलदार ने सात और भालू ने दो लोगों को घायल किया।

कम बारिश से जाड़ों में धधक रहे जंगल

रामनगर वन विभाग डीएफओ चंद्रशेखर जोशी और तराई पश्चिम वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागरी ने बताया कि जाड़ों में कम ही आग लगती है। तराई के जंगलों में आग ना के बराबर है, लेकिन पहाड़ों में आग की घटनाएं हैं। इस बार बारिश भी कम है। जंगलों में नमी नहीं होने से भी आग लग रही होगी।

कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल ने बताया जिम कॉर्बेट में कोई भी आग की घटना नहीं है। फायर सीजन में जंगल जलता है तो वन्यजीवों पर भी असर पड़ता है। जंगली जानवर बचने के लिए आबादी में जाते हैं, जहां लोगों से आमना सामना होने पर हमला भी कर देते हैं।

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